
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीति में भूचाल है और इस बार वजह है – कोई घोटाला नहीं, बल्कि SIR। नहीं-नहीं, कोई ‘सर’ नहीं, ये Systematic Investigation of Register (SIR) है – जिसे लेकर विपक्ष के होश उड़ गए हैं और सत्ता पक्ष इसे “स्वच्छ चुनाव का महायज्ञ” बता रहा है।
काले कपड़े, काली रणनीति: विपक्ष का फैशन स्टेटमेंट
चार दिन से बिहार विधानसभा में विपक्ष के विधायक काले कपड़े पहनकर आ रहे हैं। वजह? कोई ड्रेस कोड नहीं, बल्कि विरोध का ब्रांडिंग है।
तेजस्वी यादव इस बार माइक नहीं, मतदाता सूची को हथियार बना रहे हैं। उन्होंने धमकी दी –
“अगर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी मिली, तो हम चुनाव बहिष्कार कर देंगे!”
लेकिन ऐसा लगता है जैसे इस धमकी ने पहले ही विपक्ष के गोलपोस्ट में गोल दाग दिया हो।
कांग्रेस ने ली ‘नॉन-कमिटेड’ पोजीशन – “हम तो विचार करेंगे जी”
जहां तेजस्वी आरजेडी के रण में तलवार लेकर उतरे हैं, वहीं कांग्रेस ने कूटनीति की चादर ओढ़ रखी है।
कृष्णा अल्लावरु, बिहार प्रभारी ने कहा:
“हम सोचेंगे, विचार करेंगे…सभी विकल्प खुले हैं।”
मतलब ना हां, ना ना… बस चुनाव आयोग की दिशा देख रहे हैं।
तेजस्वी का दांव – मुस्लिम-यादव कार्ड, या चुनावी चेकमेट?
सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी यादव इस बयानी धमाके से माई (MY) वोटबैंक को एकजुट करना चाहते हैं।
“चुनाव आयोग BJP के साथ मिलकर वोट चुरा रहा है!” – ये लाइन अब गली-गली में सुनी जा रही है।
लेकिन जानकारों का कहना है कि विपक्ष की ‘बहिष्कार धमकी’ BJP के लिए चुनावी वरदान बन सकती है। खुद को बाहर रखने वाला विपक्ष किस मैदान में लड़ेगा?
SIR पर सुप्रीम सुनवाई – ‘बहिष्कार’ की बैल अदालत से पहले ही लौट गई
28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में SIR प्रक्रिया पर अगली सुनवाई है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने साफ कहा –
“ये चुनाव आयोग की शक्तियों के भीतर है।”
विपक्ष की कानूनी उम्मीदों को झटका लगा, इसलिए अब मंच राजनीतिक हो गया। तेजस्वी ने सोचा, “कोर्ट नहीं तो कैमरा सही!”
नीतीश कुमार बोले – काला कपड़ा पहनकर क्या साबित करना चाहते हो?
सीएम नीतीश कुमार को विरोध का रंग पसंद नहीं आया। उन्होंने सदन में फटकारते हुए कहा:
“काला कपड़ा पहनकर आते हो… क्या फैशन शो चल रहा है?”
नीतीश की इस नाराज़गी को सत्ता पक्ष ने ‘लोकतंत्र की रक्षा’ वाला ऐंगल दे दिया।
चुनाव आयोग का बड़ा फैसलाः अब पूरे देश में होगा SIR!
सिर्फ बिहार नहीं, अब SIR मॉडल पूरे भारत में लागू किया जाएगा। मतलब वोटर लिस्ट की जांच होगी, संदिग्ध हटेंगे। विपक्ष कह रहा है – “ये सफाई नहीं, साजिश है।”
जबकि आयोग कह रहा है – “हम लोकतंत्र को वायरस-फ्री कर रहे हैं।”
राजनीति में धमकियां तभी तक चलती हैं, जब तक सामने वाला डरता है। EC और सुप्रीम कोर्ट फिलहाल डरते नहीं दिख रहे!