सूजा चेहरा, मजबूत आवाज़: जासमीन मंजूर की कहानी सुन लो अब

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

15 जुलाई को पाकिस्तानी पत्रकार जासमीन मंजूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक ऐसी तस्वीर शेयर की जिसने पूरे पाकिस्तान की आत्मा को झकझोर दिया — सूजे चेहरे, नीली आंख और बैकग्राउंड में खामोश दर्द। कैप्शन था:

“हां, ये मेरी कहानी है… एक हिंसक इंसान ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।”

अब सवाल उठे, “ये बहादुर चेहरा किस कहानी को जीता रहा है इतने सालों से?”

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जासमीन मंजूर का वीडियो बयान: “रेड फ्लैग को हल्के में न लें”

जासमीन ने अपने चार वकीलों के साथ जो वीडियो शेयर किया, उसमें उनका एक सशक्त संदेश था:

“हम अक्सर रिश्तों में ‘रेड फ्लैग्स’ देखते हैं, लेकिन उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मैं अब और नहीं सहूंगी।”

लगता है, ‘टुनाइट विद जसमीन’ अब बन चुका है ‘ट्रू-नाइट विद जसमीन’ – जहां कैमरे से नहीं, अनुभव से सच बोले जाते हैं।

कौन हैं Jasmeen Manzoor?

  • जन्म: 11 मार्च 1972, कराची

  • करियर की शुरुआत: Pakistan Television (PTV)

  • 2009: Benazir Excellence Award से सम्मानित

  • 15 साल: SAMAA TV पर Tonight with Jasmeen शो

  • चर्चित चेहरे: बेबाक, निर्भीक और अब — न्याय की प्रतीक

उनकी अनुमानित नेट वर्थ $5 मिलियन (लगभग 13 करोड़ PKR) है। वेतन को लेकर स्थिति भले स्पष्ट न हो, पर आवाज़ एकदम साफ़ है।

विवादों से भी पुराना नाता

जासमीन 2013 में भी सुर्खियों में थीं, जब उन्होंने कराची की एक राजनीतिक पार्टी पर धमकी देने का आरोप लगाया था।
हालांकि, तब उन्होंने नाम नहीं लिया, लेकिन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने मामला संज्ञान में लिया था।
अब लगता है, विरोधियों से भी टकरा गई थीं और अपनों से भी जूझ रहीं थीं।

सोशल मीडिया पर पोस्ट ने मचाई हलचल

16 जुलाई की पोस्ट में उन्होंने लिखा:

“मैं हूं वो औरत… जिसने सब कुछ सहा और अब सच सामने ला रही हूं।”
उनका दावा है कि उनके पास 50 से ज़्यादा ऐसी तस्वीरें हैं, जो ये दिखाती हैं कि पीड़ा सिर्फ रिपोर्ट नहीं, अनुभव होती है।

क्या कहता है सोशल मीडिया?

सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंट गया है –

  1. #JusticeForJasmeen मांगने वाले

  2. और “क्यों अब?” पूछने वाले ट्रोल्स।

लेकिन दोनों की टाइमलाइन पर Jasmeen Manzoor ही ट्रेंड कर रही हैं।

पत्रकारिता की असली ‘स्टोरी’ वही होती है, जिसे कोई और नहीं सुनाना चाहता

जासमीन मंजूर ने पत्रकारिता से लोगों की आवाज़ उठाई, अब उन्होंने अपनी आवाज़ खुद उठाई है। इस बार कैमरे के पीछे कोई गेस्ट नहीं, खुद वो हैं — और सवाल सिर्फ पूछे नहीं, जिए गए हैं।

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