“धरती पर उतरे अंतरिक्ष के ‘शेर’, बहन बोलीं- गर्व भी कम पड़ गया!”

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में 18 दिन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में बिता कर लौटे हैं, अब भारत के पहले ISS विजेता बन चुके हैं।
उनकी वापसी को लेकर सिर्फ ISRO नहीं, पूरा देश चांद-सितारों जैसा चमक रहा है।

“नीतीश बाबू के नौकरी वाला डंका, तेजस्वी के बोल: जनता नइखे गँवई बालक!”

बहन शुचि मिश्रा की आंखें नम थीं, लेकिन मुस्कान में सितारे थे —
“हमारे पास शब्द नहीं हैं। आज गर्व को नापने का कोई पैमाना नहीं बचा।”

“ये सिर्फ वापसी नहीं, अंतरिक्ष में भारत की अगुवाई है!”

शुभांशु शुक्ला के साथ Axiom-4 मिशन के तीन और अंतरिक्ष यात्री ISS से धरती पर सुरक्षित लौटे। लैंडिंग के बाद जैसे ही उनका नाम फ्लैश हुआ, प्रधानमंत्री मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:

“उन्होंने करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है। ये मानव अंतरिक्ष मिशन की दिशा में एक और मील का पत्थर है।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शुभकामनाएं दीं और लिखा कि

“उन्होंने न केवल अंतरिक्ष को छुआ, बल्कि भारत की आकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।”

“एक भारतीय बेटा, और अंतरिक्ष की चोटी पर भारत का झंडा”

‘ड्रैगन’ कैप्सूल, जो सैन डिएगो के पास सफलतापूर्वक उतरा, सिर्फ चार अंतरिक्ष यात्रियों को नहीं, बल्कि एक अरब भारतीयों का सपना और स्वाभिमान साथ लाया।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह बोले:

“भारत को अब अंतरिक्ष की दुनिया में स्थायी जगह मिल गई है!”

थोड़ा थोड़ा सच्चा गर्व:

एक ओर जहां वैज्ञानिक बधाइयों में व्यस्त थे, सोशल मीडिया पर एक यूज़र ने लिखा:

“शुभांशु शुक्ला वापस आए, लेकिन जमीन पर पेट्रोल के रेट अब भी आकाश में हैं!”

दूसरा ट्वीट था:

“NASA वाले अब गूगल कर रहे हैं – Shubhanshu Shukla कौन है? और ISRO वाले चुपचाप स्माइल कर रहे हैं।”

भावुक प्रतिक्रिया:

शुचि मिश्रा ने कहा:

“वो वापस आ गए हैं, बस यही सबसे बड़ी बात है। देश के लिए ये गर्व का पल है, और हमारे लिए व्यक्तिगत रूप से भी आशीर्वाद जैसा।”

उन्हें देखकर लगा जैसे कोई मिशन मंगल का क्लाइमेक्स रीयल में चल रहा हो।

भारत अब अंतरिक्ष में मेहमान नहीं, मेज़बान बनने को तैयार है

शुभांशु शुक्ला की वापसी महज़ एक मिशन की सफलता नहीं, बल्कि भारत की ‘स्पेस-सॉवरेनिटी’ की ओर बढ़ता हुआ ऐलान है।

अब हम सिर्फ चंद्रयान भेजते नहीं, अंतरिक्ष में झंडा भी गाड़ते हैं।
और लौटते वक्त — साथ लाते हैं सपनों का भार और देश का गर्व।

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