यमन में समंदर बना कब्रगाह – 150 प्रवासी सवार, 50 से ज़्यादा की मौत

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

यमन के तटीय इलाके अबयान में एक भयावह समुद्री हादसा सामने आया है। तेज़ हवाओं और ख़राब मौसम के चलते एक नाव पलट गई, जिसमें लगभग 150 प्रवासी सवार थे। हादसे में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इस दर्दनाक दृश्य ने दुनियाभर में चिंता और संवेदना की लहर दौड़ा दी है।

IOM ने इसे “दिल दहला देने वाली त्रासदी” बताया है।

मौसम बना मौत का कारण

स्थानीय प्रशासन के अनुसार, यह घटना यमन के दक्षिणी प्रांत अबयान के तट के पास हुई। तेज़ हवा, ऊंची लहरें और नाव की अधिकतम क्षमता से अधिक भार इसके पीछे कारण बताए जा रहे हैं।
अबयान सुरक्षा निदेशालय ने बताया कि शव तटरेखा के कई हिस्सों पर बिखरे मिले हैं और सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है।

“हादसा एक चेतावनी है – प्रवासन की कीमत सिर्फ आशा नहीं, ज़िंदगी भी हो सकती है।”

यमन क्यों बना है प्रवासियों का मार्ग?

हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका (खासकर इथियोपिया, सोमालिया, इरिट्रिया) से खाड़ी देशों की ओर बेहतर रोजगार की तलाश में लोग पलायन करते हैं। यमन उनके लिए एक मुख्य ट्रांजिट रूट है।

लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है —

  • अस्थिर राजनीति

  • समुद्री डकैत

  • मौसम की मार

  • और तस्करों की बेरहमी

सब मिलकर प्रवासियों की यात्रा को ‘यात्रा से ज्यादा जुआ’ बना देते हैं।

IOM की रिपोर्ट – आंकड़े डराते हैं

इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) के मुताबिक,

  • हाल के महीनों में सैकड़ों प्रवासी समुद्र में मारे गए या लापता हुए हैं

  • मरने वालों में अधिकांश इथियोपियाई नागरिक हैं, जो युद्ध, गरीबी और बेरोजगारी से बचकर खाड़ी देशों की ओर भागते हैं।

IOM प्रवक्ता: “यह एक मानवीय संकट है, जो दुनिया की आंखों से ओझल हो रहा है।”

अंतरराष्ट्रीय चिंता – पर समाधान कब?

इस हादसे के बाद एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां और मानवाधिकार संगठन सवाल पूछ रहे हैं:

  • कब तक लोग इस ख़तरनाक रास्ते से गुजरने को मजबूर रहेंगे?

  • क्या सुरक्षित माइग्रेशन के लिए कोई ठोस नीति बनेगी?

  • क्या खाड़ी और अफ्रीकी देशों में सहयोग से इन मौतों को रोका जा सकेगा?

जब उम्मीदें नाव पर लदी हों और नाव डूब जाए — तो क्या उम्मीदें भी मर जाती हैं?

यमन की इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर प्रवासी संकट की गंभीरता को उजागर किया है। 50 से ज्यादा ज़िंदगियों का यूं डूब जाना सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय चेतावनी है।

यह सवाल हमारे सामने है —
क्या दुनिया तैयार है इस प्रवासी संकट से निपटने के लिए, या फिर अगली नाव भी इसी अंजाम तक पहुंचेगी?

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