रेट्रो रिव्यू: “वो कौन थी?” – और आज तक किसी को नहीं पता

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

राज खोसला निर्देशित ‘वो कौन थी’ (1964) एक ऐसी रहस्यमयी थ्रिलर है, जो शुरू होते ही सवाल छोड़ देती है –

“कौन थी वो सफेद साड़ी वाली लड़की जो रात की बारिश में टैक्सी रुकवाती है?”

और दर्शक 2 घंटे 25 मिनट तक यही सोचता रह जाता है – “अरे भाई, कोई तो बताए!”

‘एक फूल दो माली’ रिव्यू: बलराज साहनी और संजय खान की क्लासिक

प्लॉट का मजा: जहां प्यार भी है… और प्रेत भी?

फिल्म की शुरुआत होती है एक अजनबी लड़की से जो बारिश में डॉक्टर आनंद (मनोज कुमार) की कार रोकती है। लड़की का चेहरा मासूम, पर नजरें किसी अनजाने भूत की तरह गूंजती हैं।

और बस यहीं से शुरू होता है वो खेल – रहस्य, पुनर्जन्म, धोखा या दिमागी खेल?
आपका दिमाग कहेगा – “अबे ये क्या चल रहा है?”

स्टारकास्ट: जब स्क्रीन पर राज करती थीं आंखें

  • साधना – रहस्य और सौंदर्य का परफेक्ट ब्लेंड। कभी भूत लगती हैं, कभी महबूबा।

  • मनोज कुमार – डॉक्टर के रोल में थोड़ा परेशान, थोड़ा रोमांटिक और पूरी फिल्म में कन्फ्यूज़।

  • के.एन. सिंह – साइलेंट विलेन वाइब्स के जनक।

  • और हेलेन, जिनके बिना 60s की फिल्में पूरी ही नहीं होती थीं।

म्यूजिक: “लग जा गले” – जब गाना नहीं, जादू बन गया

मदन मोहन का संगीत और लता मंगेशकर की आवाज़ = अमर मेल।

  • “लग जा गले”

  • “नैना बारसे”

  • “जो हूं मैं कहां”
    ये गाने नहीं, इमोशनल बुलेट्स हैं जो सीधे दिल में उतरती हैं।

सतर्क रहिए, इन गानों के साथ कोई एक्स याद आ सकता है!

डायरेक्शन: राज खोसला का मास्टरस्ट्रोक

राज खोसला ने इस फिल्म में ऐसी रहस्यमयी फील दी कि आज भी लोग इसे देखकर सोचते हैं – अरे यार, ऐसा कंटेंट तो नेटफ्लिक्स वाले भी नहीं बना पाए!

कैमरा वर्क, सस्पेंस बिल्डअप और लाइटिंग… सब कुछ समय से आगे था।

ये सस्पेंस है या सस्पेंस का ताऊ?

  • डॉक्टर साहब 2 बार लड़की को भूत समझते हैं, फिर शादी भी कर लेते हैं। साहब! लॉजिक नाम की भी कोई चीज़ होती है?

  • फिल्म में बारिश और हवाएं जितनी बार आती हैं, उतनी बार तो आपके मोहल्ले में बिजली भी नहीं जाती।

  • साधना जी का स्मोकी लुक देखकर आज की थ्रिलर क्वीन भी कहे – “OMG, aesthetic!”

क्यों देखें आज भी?

  • शानदार संगीत

  • क्लासिक रहस्य

  • सिनेमैटिक ब्यूटी

  • और सच्ची बात: आज की बॉलीवुड थ्रिलर्स के मुकाबले कम CGI, ज़्यादा दिल!

“वो कौन थी?” एक टाइमलेस क्लासिक है जिसे आज भी देखकर लगता है –

“सस्पेंस भी एक आर्ट होता है… और राज खोसला इसके दा विंची थे!”

“पैसा दो वरना पॉक्सो लगेगा!” – प्रतीक यादव की FIR से हड़कंप

Related posts

Leave a Comment