
वृंदावन मंदिर में एक कपल अपनी रील बना रहा था — पति श्रद्धा से पत्नी के पैर छू रहा था। इसी बीच, जैसे किसी पौराणिक सीरियल में ‘सद्गुण संपन्न किरदार’ की एंट्री होती है, वैसे ही आईं आंटी।
उन्होंने कहा —
“सारी बुद्धि खत्म हो गई तेरी? मंदिर में पत्नी के पैर छूता है?“
और फिर चालू हो गया ‘रील बनाम रीत’ का विवाद।
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पति का जवाब और आंटी की काउंटर स्ट्राइक
पति ने जवाब दिया —
“औरत न हो, तो हम न हो।“
लेकिन आंटी तो संस्कारों की शेरनी निकलीं। बोलीं —
“औरत सिर्फ बीवी नहीं होती, मां-बहन भी होती है।“
बात बहस तक पहुंची लेकिन बिना गाली और हाथापाई के — यानी संस्कारी बहस, सिर्फ़ ज़ोरदार शब्दों के साथ।
वीडियो पर यूजर्स का संग्राम: कुछ आंटी के साथ, कुछ कपल के साथ
वीडियो को @gharkekalesh नाम के इंस्टा पेज ने शेयर किया है।
1.2 लाख व्यूज़, 1,500 लाइक्स और 100+ कमेंट्स में लोग दो गुटों में बंट गए:
“मंदिर में रील नहीं, भावना होनी चाहिए।”
“बीवी के सम्मान में झुकना गलत नहीं।”
“दादी सोच रही होंगी, दादा ने कभी ऐसा किया ही नहीं।”
“धार्मिक स्थलों को रील स्टूडियो मत बनाओ।”
Kalesh b/w a Lady and Couple over Making Instagram Reel infront of Vrindavan Temple:
pic.twitter.com/lmYUjofgtk— Ghar Ke Kalesh (@gharkekalesh) June 15, 2025
धार्मिक स्थल या सोशल मीडिया सेट? पुरानी बहस फिर से जिंदा
यह कोई पहली बार नहीं है जब मंदिरों में रील बनाने पर बहस छिड़ी हो। कुछ कहते हैं – भावना है तो दिखाओ, कुछ कहते हैं – घर में दिखाओ। अब सवाल ये है:
क्या मंदिर में भाव दिखाना ‘अभिनय’ बन गया है? या हर भाव अब ‘कंटेंट’ बन चुका है?
आंटी बनी Reel स्टॉपर 2.0?
अगर इंस्टाग्राम पर बायो होता तो शायद उनका होता – “Sanatan Sanskar Enforcer | Reels Destroyer | Bhakti में No Filmy” और अगली बार वो रील में दिखेंगी तो शायद कहें –
“Content creators beware, I’m watching from the shadows of Sanskar.”
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मंदिर में सिर झुका या रीच बढ़ाई?
मंदिर श्रद्धा का स्थान है, लेकिन जब श्रद्धा कैमरे में कैद होने लगे तो विवाद तय है। कपल के लिए यह ‘भाव’ था, आंटी के लिए यह ‘अनुशासन का उल्लंघन’। अब बारी जनता की है—“आप किस टीम में हैं? Team Kapal या Team Aunty?”