
राजधानी दिल्ली के द्वारका सेक्टर 13 स्थित सबद अपार्टमेंट में मंगलवार को भयंकर आग लग गई। सातवीं मंजिल से धुएं और लपटों ने ऐसा रौद्र रूप लिया कि तीन ज़िंदगियाँ चंद मिनटों में खत्म हो गईं।
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पिता और दो बच्चों ने बालकनी से कूदकर जान बचानी चाही… लेकिन नहीं बच सके
घटना के वक्त अपार्टमेंट में कई लोग फंसे हुए थे। 10 साल के दो मासूम बच्चों और उनके पिता यश यादव (35) ने आग से बचने की कोशिश में बालकनी से छलांग लगा दी।
उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।
जैसे ही आग ने रास्ता रोका, जान बचाने की आखिरी उम्मीद थी छलांग… और वही बन गई मौत का कारण।
आठ दमकल गाड़ियां, लेकिन आग पर देर से काबू
दमकल विभाग को सूचना मिलते ही 8 फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। हालांकि जब तक आग पर काबू पाया जाता, तब तक तीन जिंदगियां जा चुकी थीं।
सवाल यह है कि क्या हमारी आपदा प्रबंधन प्रणाली इतनी सुस्त है कि सातवीं मंजिल से लोगों को कूदना पड़े?
सिस्टम पर सवाल: फायर सेफ्टी है या सिर्फ दिखावा?
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क्या बिल्डिंग में फायर अलार्म काम कर रहे थे?
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फायर एस्केप सीढ़ियाँ इस्तेमाल लायक थीं या नहीं?
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रिज़िडेंशियल सोसाइटीज़ में समय-समय पर सेफ्टी ड्रिल होती भी हैं या सिर्फ कागजों में?
हर बार हादसे के बाद एक जैसे बयान, एक जैसी कार्रवाई, लेकिन सवाल वही — क्या सिस्टम सो रहा है?
प्रशासन की जांच शुरू, पर क्या मिलेगा न्याय?
हालांकि प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन ऐसे मामलों में रिपोर्ट और फाइलिंग का सिलसिला चलकर वहीं खत्म हो जाता है, जहां शुरू हुआ था।
जनता का सवाल: ‘हमें सुरक्षा कब मिलेगी?’
दिल्ली जैसे मेट्रो शहर में भी जब आग लगने पर मौत टल नहीं सकती, तो छोटे शहरों का क्या हाल होगा?
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं:
“जब दमकल से ज़्यादा भरोसा छलांग पर हो जाए, तो सिस्टम को जलाना पड़ता है, सिर्फ आग नहीं।”
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दिल्ली के द्वारका सेक्टर 13 के शब्द अपार्टमेंट में आग लगी, जान बचाने के लिए तीन लोग ऊपर से कूदे @NBTDilli pic.twitter.com/jGttktiETB
— poonam gaur (@poonamgaurNBT) June 10, 2025