
हनुमान जी, जिन्हें संकटमोचन, भय नाशक और कष्ट विनाशक के रूप में पूजा जाता है, उन्होंने एक बार इतना अद्भुत रूप धारण किया कि सारा ब्रह्मांड चकित रह गया। ये था — पंचमुखी हनुमान रूप। आइए जानते हैं इस रूप के पीछे छुपे गूढ़ रहस्य और कहानियां।
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अहिरावण वध: संकट में श्रीराम, जवाब में पंचमुखी अवतार
जब लंकापति रावण का भाई अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण का पाताल लोक में अपहरण करता है, तो सारा युद्ध-मैदान नींद में डूब जाता है। संकट की इस घड़ी में हनुमान जी ही आशा की किरण बनते हैं।
पाताल में पहुँचकर हनुमान जी को पाँच अलग-अलग दिशाओं में जलते दीपकों को एक साथ बुझाना होता है — तभी अहिरावण मरेगा। इसके लिए उन्होंने धारण किया पंचमुखी रूप:
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पूर्व: वानर मुख (हनुमान)
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पश्चिम: गरुड़ मुख
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उत्तर: वराह मुख
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दक्षिण: नरसिंह मुख
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ऊर्ध्व (ऊपर): हयग्रीव मुख
इन रूपों से दीप बुझाए गए और अहिरावण का अंत हुआ, श्रीराम-लक्ष्मण की रक्षा हुई।
मरियल दानव और विष्णु का सुदर्शन चक्र
एक अन्य कथा में, एक मायावी दानव मरियल विष्णु का सुदर्शन चक्र चुरा लेता है। हनुमान जी यह व्रत लेते हैं कि वे चक्र वापस लाकर ही मानेंगे।
इस मिशन में उन्हें विष्णु से गरुड़, नरसिंह, हयग्रीव और वराह मुखों का वरदान मिलता है। साथ ही पार्वती जी कमल और यमराज उन्हें पाश अस्त्र देते हैं। इस शक्ति और आशीर्वाद से वे पंचमुखी बनकर मरियल को पराजित करते हैं।
पंचमुखों का आध्यात्मिक महत्व
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पूर्व (वानर मुख) – शक्ति और शत्रु विनाश का प्रतीक
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पश्चिम (गरुड़ मुख) – संकट से रक्षा और अमरत्व का प्रतीक
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उत्तर (वराह मुख) – ऐश्वर्य, संपत्ति और स्वास्थ्य देने वाला
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दक्षिण (नरसिंह मुख) – भय, चिंता और शत्रु नाशक
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ऊर्ध्व (हयग्रीव मुख) – ब्रह्मज्ञान, बुद्धि और राक्षस संहारक
पंचमुखी हनुमान की उपासना क्यों करें?
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जीवन में सुरक्षा, शक्ति और साहस चाहिए?
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शत्रुओं से डर लगता है या बार-बार बाधाएं आती हैं?
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या फिर आप अपने परिवार को बुरी शक्तियों से बचाना चाहते हैं?
पंचमुखी हनुमान की उपासना आपको भयमुक्त, बलवान और आत्मविश्वासी बना सकती है। यह रूप पंच तत्वों और पांच दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
पंचमुखी रूप — दिव्यता का चरम
हनुमान जी का यह पंचमुखी रूप केवल एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि जीवन में रक्षा, बल, भक्ति और बुद्धि का अद्वितीय संगम है। यह दर्शाता है कि जब दुनिया की हर दिशा से संकट आए, तो भी एक साधक पांच दिशाओं से उसका सामना कर सकता है — बशर्ते उसके अंदर हनुमान जैसा आत्मबल हो।
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