मुताह निकाह (Pleasure Marriage) क्या है? इस्लाम में इसका मौजूदा स्टेटस जानें

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

मुताह निकाह या Pleasure Marriage एक ऐसा इस्लामिक वैवाहिक कॉन्ट्रैक्ट है, जो अस्थायी अवधि के लिए किया जाता है। यह प्रथा खासतौर पर शिया मुस्लिम समुदाय में पाई जाती है, जबकि अधिकांश सुन्नी मुस्लिम इसे इस्लाम में हराम (नाजायज) मानते हैं।

मुताह निकाह का शाब्दिक अर्थ

‘मुताह’ अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है “आनंद लेना”। मुताह निकाह का उद्देश्य पारंपरिक स्थायी विवाह के विपरीत कुछ समय के लिए वैवाहिक रिश्ते में बंधना होता है, जो कि दोनों पक्षों की सहमति से तय की गई अवधि तक सीमित होता है।

कैसे किया जाता है मुताह निकाह?

  1. विवाह की अवधि तय होती है — यह कुछ घंटों, दिनों या महीनों की हो सकती है।

  2. मेहर (दहेज या गिफ्ट) तय किया जाता है।

  3. दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य होती है।

  4. कोई गवाह या निकाह रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं होता (शिया मान्यता अनुसार)।

इस्लाम में मुताह निकाह का इतिहास

मुताह निकाह की प्रथा पैगंबर मुहम्मद के समय में मौजूद थी और कुछ युद्धकालीन परिस्थितियों में इसे अनुमति दी गई थी। लेकिन खलीफा उमर इब्न अल-खत्ताब के समय इसे सार्वजनिक रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बाद से सुन्नी मुसलमानों ने इसे हराम मान लिया, जबकि शिया समुदाय ने इसे अब तक जायज माना है।

क्या आज के समय में मुताह निकाह इस्लाम में जायज है?

शिया मुस्लिम

शिया इस्लाम के अनुसार, मुताह निकाह जायज (हलाल) है। इसे एक वैकल्पिक विवाह व्यवस्था के रूप में स्वीकार किया गया है।

सुन्नी मुस्लिम 

सुन्नी इस्लाम में मुताह निकाह को हराम (नाजायज) माना जाता है। इसे ज़िना (व्यभिचार) के समान समझा जाता है।

क्या मुताह निकाह मानवाधिकारों और आधुनिक समाज में स्वीकार्य है?

यह एक विवादित मुद्दा है:

पक्ष तर्क
समर्थन में महिलाओं को वैकल्पिक सुरक्षा, कानूनी मेहर, शादी से पहले सहमति
विरोध में महिला शोषण की संभावना, विवाह की पवित्रता पर सवाल, सामाजिक अस्थिरता

क्या मुताह निकाह आज की दुनिया में है?

अब इस प्रथा ने इंडोनेशिया के पुंकाक रीजन में एक नया और चिंताजनक रूप ले लिया है। आज के समय में यह प्रथा इंडोनेशिया में एक इंडस्ट्री का रूप ले चुकी है, खासकर पुंकाक नाम के टूरिस्ट हब में। यहां की गरीब महिलाएं, खासकर युवा लड़कियां, पैसे के बदले विदेशी पर्यटकों के साथ कुछ दिनों की शादी कर रही हैं।

इन ‘शादियों’ में ज्यादातर पर्यटक मिडिल ईस्ट (अरब देशों) से आते हैं। एजेंट्स उनके लिए युवतियों को ‘चुनते’ हैं और उन्हें कुछ दिनों की पत्नी के तौर पर उपलब्ध कराते हैं। यह महिलाएं घरेलू कामकाज से लेकर यौन सेवाएं तक देती हैं, और बदले में उन्हें $300 से $500 तक की रकम दी जाती है।

13 साल की उम्र में पहली ‘शादी’

लॉस एंजिलिस टाइम्स की एक रिपोर्ट में ‘काहाया’ नाम की लड़की का जिक्र किया गया है, जिसने मात्र 13 साल की उम्र में पहली मुताह शादी की थी, वो भी अपने दादा-दादी के ज़बरदस्ती के चलते। 28 साल की उम्र तक वह 15 से अधिक ऐसी ‘शादियां’ कर चुकी है।

वो बताती है कि फैक्ट्री में काम करके उसे मुश्किल से $50 मिलते, जबकि इस तरह की ‘शादी’ से 10 गुना ज्यादा कमाई होती है। आज वो इसी से अपनी बेटी की परवरिश कर रही है, मगर परिवार को इसकी सच्चाई नहीं बताई।

रेजॉर्ट्स बन गए विवाह स्थल

अब इस प्रथा ने इतना संगठित रूप ले लिया है कि रेजॉर्ट्स में बाकायदा ‘हाईलैंड प्लेजर पैकेज’ ऑफर किया जाता है, जिसमें पर्यटकों को अस्थायी बीवियां मिलती हैं। एजेंट महीने में 20 से 25 तक ऐसी ‘शादियां’ तय कर रहे हैं, जो अब एक काली कमाई का धंधा बन चुकी है

छुपा हुआ शोषण

हालांकि इस ‘शादी’ को एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज की तरह दिखाया जाता है, लेकिन हकीकत में यह महिलाओं के आर्थिक शोषण और असुरक्षा की कहानी है। न तो इन महिलाओं को कानूनी सुरक्षा मिलती है और न ही सामाजिक स्वीकृति। खासकर किशोर उम्र की लड़कियों को इसमें जबरन धकेला जाना मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।

Related posts