
रविवार सुबह वर्ल्ड क्रिकेट लीजेंड्स (WCL) ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक ऐसा बयान डाला जिससे क्रिकेट नहीं, बल्कि सोशल मीडिया गरमा गया।
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला मैच रद्द कर दिया गया है। वजह? मैदान के बाहर का तनाव, और खिलाड़ियों की मैदान पर न उतरने की नैतिक मंशा।
लीग ने बयान में कहा कि उनका उद्देश्य केवल ‘खुशियों की यादें बनाना’ था, लेकिन अगर किसी को असहजता हुई, तो वे माफी मांगते हैं।
“देश से बढ़कर कुछ नहीं”
पूर्व ओपनर शिखर धवन ने देर रात एक ईमेल का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें उन्होंने साफ लिखा था –
“जो फैसला 11 मई को लिया, आज भी उसी पर कायम हूं। मेरा देश मेरे लिए सब कुछ है।”
धवन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो सिर्फ ‘गब्बर’ ही नहीं, बल्कि रियल देशभक्त भी हैं – मैदान पर भी और मैदान के बाहर भी।
पाकिस्तानी कप्तान अफरीदी का पलटवार – “एंबेसडर बनो, विवाद नहीं”
इस पूरे विवाद पर शाहिद अफरीदी ने भी चुप्पी नहीं साधी। उन्होंने बयान दिया:
“आप आए, प्रैक्टिस भी की, फिर मैच से एक दिन पहले मना कर दिया? ये कैसी प्रोफेशनलिज्म है?”
उन्होंने आगे तंज कसते हुए कहा कि जो कौमें आगे बढ़ना चाहती हैं, वो “छोटी-छोटी बातों” में नहीं उलझतीं। अफरीदी की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर चर्चा में है – कुछ ने इसे “सलाह” माना, कुछ ने “तंज”।
पहलगाम हमला और राजनीतिक पृष्ठभूमि
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहलगाम हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण कई भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से इनकार कर दिया। कई क्रिकेटर्स को यह लगा कि ऐसे समय में मैदान पर उतरना, संवेदनशीलता के खिलाफ है।
क्रिकेट: खेल या कूटनीति का कैनवास?
जब से क्रिकेट सिर्फ गेंद और बल्ले का खेल नहीं रह गया, तब से ऐसे फैसले चर्चा का विषय बन गए हैं। WCL जैसी लीग्स भले ही ‘खुशियां बांटना’ चाहें, पर अगर खिलाड़ियों की अंतरात्मा ही साथ न दे, तो मैच स्कोरबोर्ड तक नहीं पहुंच पाते।
‘क्रिकेट’ फंसा सियासत की गली में
अब सवाल ये है कि क्या क्रिकेट को राजनीति से दूर रखा जा सकता है? या फिर हर मैच से पहले विजा और विचारधारा दोनों की क्लियरेंस जरूरी है?
WCL भले ही अगला मैच प्लान करे, लेकिन भारत के खिलाड़ी शायद अगली बार पहले ही कहेंगे – “देश पहले, बाकी बाद में।”
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