गांव-गांव सरकार भवन! अब “दरखास देईं त तुरंते सुनवाई”

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार सरकार अब गांधी बाबा के “ग्राम स्वराज” के सपना के टेक्नोलॉजी वाला रूप दे रहल बिया। अब गांव के लोगन के चिट्ठी-पत्री लेके ब्लॉक-प्रखंड ना दौड़ल जाई — हर पंचायत में बने वाला ‘पंचायत सरकार भवन’ से गांव के सरकार अब खुद गांव में ही बइठी!

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“अब ना चप्पल घिसे के ज़रूरत, फाइल भी खिसकेगा आउरी कुर्सी भी!” 

आंकड़ा देख के चौंक जइबें!

भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि के माने त, ई योजना में 2600 पंचायत सरकार भवन बनावल जाई।

2000 भवन पर काम चालू बा

400 भवन के टेंडर प्रक्रिया चालू बा

बाढ़ क्षेत्र में 1187 भवन

साधारण क्षेत्र में 1488 भवन

“इतना सरकारी बिल्डिंग त शहर में भी ना होई!”

बिल्डिंग ना, पूरा सरकार बइठे वाला हवेली

अब ई भवन एक-दू कमरा वाला ना होई। दू मंजिला पक्का ईमारत होई, जवना में मिलिहे:

सरपंच आ पंचायत कर्मी के दफ्तर

ग्राम कचहरी (जहां अब ‘मुंशीजी’ के पर्चा ना, ऑनलाइन सिस्टम होई!)

रिकॉर्ड रूम, स्टोर

सेवा केंद्र आ नागरिक स्वागत कक्ष

डाकघर आ छोटका आवास भी!

“अब सरपंच जी कहबें – ‘मिलला त ऑफिस आवऽ, हम व्यस्त बानी!’” 

बाढ़ आवे या धूप – सरकार भवन हमेशा फिट

बाढ़ प्रभावित इलाकन में भवन के बनावट खास मजबूत बनावल जा रहल बा।

साधारण इलाका के साइज: 7202 वर्गफीट

बाढ़ इलाका के साइज: 9538 वर्गफीट

“मतलब पानी आवे, झंझावात चले, लेकिन सरपंच जी के कुर्सी हिले ना!” 

सरकार से जनता के सीधे मेल-जोल

ई भवन बनला से अब पंचायत कार्य में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ी।

गांव के लोगन के फाइल के ‘लुका-छिपी’ अब खतम

मीटिंग होई समय पर

सेवा मिले एक ही छत के नीचे

“अब पंचायत भवन में घुसीं, काम बताईं, चाय पीयीं, आ काम पूरा हो जाई!” 

जनता के भागीदारी, प्रशासन के जिम्मेदारी

राज्य सरकार के माने त ई भवन:

आपदा के समय राहत केंद्र बन सकत बा

गांव के विकास के हब बनी

लोकल लोगन के लोकतंत्र में भागीदारी बढ़ी

अब फैसला गांव में होई, दिल्ली-मुंबई में ना

“पहिले पोस्टमैन ना मिले, अब गांव में खुद पोस्ट ऑफिस होई!” 

‘गांव चलs, सरकार बइठल बा!’

ई योजना बिहार के गांव के आधुनिक लोकतंत्र के नया रूप दे रहल बा। पंचायत सरकार भवन ना केवल एक ठो ईमारत बा, बलुक गांव के आत्मनिर्भर बनावे वाला “सरकारी ठौर” बा।
अबकी बार ना केवल पंचायत, पंचायत भवनो चमकेगा!

“कहिया ना सोचले रहीं कि अपना टोला में ई भी होई – मीटिंग रूम, सरकारी बाबू, अउरी एसी वाला कमरा!” 

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