वट सावित्री व्रत 2025: 26 मई को बरगद पूजा सभी जानकारी एक क्लिक में

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

इस बार 26 मई 2025 को वट सावित्री व्रत का पर्व मनाया जाएगा, जो ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर पड़ रहा है। साथ ही, 26 मई को सोमवार होने से यह व्रत सोमवती अमावस्या के साथ जुड़कर और भी खास बन गया है। भारत के कई हिस्सों में, खासकर उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में यह व्रत बड़े श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत को सबसे प्रभावी माना जाता है क्योंकि इसमें सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जैसे बरगद का पेड़ सदियों तक जीवित रहता है, वैसे ही पति की उम्र भी लंबी हो। हिंदू धर्म में बरगद को पूजनीय माना जाता है और इसे देवी-देवताओं का निवासस्थल माना गया है।

वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ योग

26 मई 2025 को दिन में 12:11 बजे से ज्येष्ठ मास की अमावस्या प्रारंभ होगी, जो अगले दिन सुबह 8:31 बजे तक चलेगी। इस दिन भरणी नक्षत्र सुबह 8:23 बजे तक रहेगा, साथ ही शोभन और अतिगण्ड योग का भी संयोग है। अभिजित मुहूर्त सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 बजे तक रहेगा, जो व्रत के लिए शुभ माना गया है।

सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग

27 मई की सुबह अमावस्या स्नान और दान का विशेष महत्व है। चूंकि 26 मई सोमवार है, इस बार ज्येष्ठ अमावस्या पर सौभाग्यदायक सोमवती अमावस्या का भी संगम हो रहा है। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में रहेगा, जो व्रतियों को विशेष फल प्रदान करता है।

वट सावित्री व्रत कैसे करें?

  • सुबह स्नान कर साफ-सफाई के बाद बांस की टोकरी में सप्तधान्य के ऊपर सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां स्थापित करें।

  • वट वृक्ष के नीचे जाकर पूजा करें, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।

  • जल से वृक्ष को सींचें और उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटें।

  • 108 बार वृक्ष की परिक्रमा करें और मंत्रों का जाप करें।

  • सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें।

वट सावित्री की कथा संक्षेप में

सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु रोकने के लिए यमराज का दिल जीत लिया था। उन्होंने यमराज से तीन वरदान मांगे, जिसमें पति की लंबी उम्र भी शामिल थी। यमराज उनकी भक्ति और साहस से प्रसन्न होकर सत्यवान को पुनर्जीवित कर दिया था।

पूजा सामग्री

सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, लाल कलावा, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, बरगद के फल, जल से भरा कलश, सुहाग का समान इत्यादि।

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