
यूपी के झांसी में हाई-स्पीड ट्रेन की तरह तेज़ी से गरम हो रहा है बबीना विधायक राजीव पारीछा का मामला। वंदे भारत एक्सप्रेस में ‘विंडो सीट विवाद’ अब सीधे एफआईआर की दहलीज़ तक पहुंच चुका है। सीट के लिए जो थप्पड़ चले, अब वो केस बनकर सत्ता के गलियारों में गूंज रहे हैं।
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’19 सेकंड की क्लिप’ = 19 कानूनी बवाल?
एक वीडियो सामने आया जिसमें विधायक जी के समर्थक ट्रेन में एक यात्री को ‘दौड़ा-दौड़ाकर’ ट्रेन की स्पीड से तेज़ पीटते नजर आए। और वो भी क्यों? क्योंकि जनाब ने विंडो सीट नहीं छोड़ी! यानी अब रेलवे रिजर्वेशन नहीं, राजनीतिक प्रेशर सीट तय करेगा?
अमिताभ ठाकुर का ‘कानूनी डंडा’ ऑन ड्यूटी
पूर्व IPS और आजाद अधिकार सेना प्रमुख अमिताभ ठाकुर ने पूरे केस को ‘मौजूदा कानून बनाम मनमानी राजशाही’ बना डाला। उन्होंने ADG GRP को शिकायत भेजकर कहा: “मारपीट, वीडियो, सब कुछ पब्लिक डोमेन में है… तो एफआईआर कब होगी?” साथ में मुख्यमंत्री को कॉपी भी भेजी, ताकि मामले में सिर्फ चाय नहीं, कार्रवाई भी उबले।
भाजपा का ‘कारण बताओ’ नोटिस: दिखावे की सज़ा या वाकई ऐक्शन?
भाजपा हाईकमान ने विधायक पारीछा को कारण बताओ नोटिस भेजा है, जिसमें उन्हें 7 दिन में जवाब देना है। लेकिन पब्लिक पूछ रही है — जवाब देने से पहले कानूनी जवाबदारी कब तय होगी? आखिरकार, ये लोकतंत्र है या ‘लोकमत के साथ मुक्का-तंत्र’?
सियासत बनाम सिस्टम: FIR यात्री पर, मार विधायक के सामने?
जमाना ऐसा हो चला है कि वीडियो में पिटता यात्री है, लेकिन केस उसी के खिलाफ दर्ज हो जाता है। उधर, विधायक समर्थक हवा की तरह उड़ते हैं और जमीन पर सवाल छोड़ जाते हैं। अगर यही “जन सेवा” है, तो ट्रेन में CCTV से ज़्यादा CCTV चश्मे पहनना ज़रूरी हो गया है।
अब सवाल: FIR होगी या वायरल वीडियो को ही ‘निर्मल बाबा’ बना देंगे?
इतना वीडियो वायरल हुआ कि सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं — FIR होगी या इस क्लिप को भी ‘अस्थायी राजनीतिक असहमति’ कहकर मिटा दिया जाएगा? अमिताभ ठाकुर जैसे लोग उम्मीद जगा रहे हैं कि मामला रेल की तरह रफ्तार न सही, लेकिन न्याय की पटरी पर तो दौड़े।
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