
मंगलवार सुबह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के हरसिल क्षेत्र में बादल फटने की भयावह घटना घटी। खीर गंगा गदेरा (स्थानीय गहरी खाई) का जलस्तर अचानक इतना बढ़ा कि धराली गांव देखते ही देखते तबाही के मंजर में बदल गया।
चार की मौत, कई लापता – तबाही की पुष्टि
DM प्रशांत आर्य के मुताबिक, अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।
प्रॉपर्टी का भी बड़ा नुकसान हुआ है – होटल्स, दुकानों और मकानों को बहते देखा गया।
“कोई वॉर्निंग नहीं थी!” – स्थानीय निवासियों का आरोप
धराली गांव की निवासी ने बताया:
“हम छत से देख रहे थे, पूरा मार्केट बह रहा था। कोई अलर्ट नहीं था, लोग पूजा में जा रहे थे और मलबे में फंस गए।”
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कोई पूर्व चेतावनी नहीं दी गई थी, जिससे नुकसान और ज्यादा बढ़ा।
धामी का एक्शन मोड ON
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने X (Twitter) पर घटना पर दुख जताया और कहा:
“एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर हैं। हमारी प्राथमिकता हर व्यक्ति की सुरक्षा है।”
सीएम ने कहा कि वो वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में हैं और हालात पर गहन निगरानी रखी जा रही है।
राहत और बचाव कार्य तेज़
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एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें सक्रिय
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मलबे में फंसे लोगों को निकालने का अभियान
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प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों को अलर्ट पर रखा है
प्रकृति का प्रकोप या सिस्टम की चूक?
उत्तरकाशी की इस घटना ने फिर सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या हम आपदा से पहले तैयार हैं या हमेशा बाद में पछताते हैं?
“पहाड़ों में कभी बर्फ डराती है, कभी पानी बहा ले जाता है — और इंसान हर बार चौंकता ही रह जाता है।”
“बादल फटता है, सिस्टम बह जाता है — चेतावनी सिर्फ फॉर्मेलिटी बन कर रह गई है!”
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