
उत्तराखंड में मानसून ने एक बार फिर विकराल रूप ले लिया है। पहाड़ों पर लगातार हो रही तेज बारिश ने जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। हालात इतने खराब हैं कि धराली (उत्तरकाशी) में बादल फटने के कारण कई लोग लापता हो गए हैं।
स्कूल बंद, अलर्ट जारी – खतरे की घंटी फिर बजी
राज्य सरकार ने बिगड़े मौसम के मद्देनजर 6 से 12 अगस्त 2025 तक सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। साथ ही मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि आने वाले सात दिनों में पहाड़ों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है।
दिन-वार मौसम का हाल – कब, कहां, कितनी बरसात?
6 अगस्त: सभी जिलों में भारी से भारी बारिश और बिजली गिरने की संभावना।
7 अगस्त: देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, बागेश्वर में भारी बारिश का रेड अलर्ट।
8 अगस्त: उत्तरकाशी से चम्पावत तक तेज बारिश और गरज-चमक।
9 अगस्त: देहरादून और बागेश्वर में भारी बारिश, बाकी जिलों में मध्यम बारिश।
10 अगस्त: रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी में विशेष अलर्ट।
11-12 अगस्त: हल्की से मध्यम बारिश के साथ बिजली की संभावनाएं।
नदियां उफान पर, भूस्खलन का भी डर!
IMD ने चेताया है कि लगातार बारिश से नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है। भूस्खलन की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने लोगों को नदी किनारे और पहाड़ी इलाकों से दूर रहने को कहा है। मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर भेजने की सलाह दी गई है।
CM धामी पहुंचे घटनास्थल, बोले – “जान बचाना है पहली प्राथमिकता”
उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद राहत कार्यों की निगरानी के लिए पहुंचे। उन्होंने साफ कहा – “जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है। NDRF और SDRF की टीमें पूरी मुस्तैदी से काम कर रही हैं।”
क्या है बादल फटने का विज्ञान?
“Cloudburst” यानी अचानक बहुत कम समय में अत्यधिक वर्षा होना, जिससे जमीन पानी नहीं सोख पाती और एक साथ सबकुछ बहा ले जाती है। हिमालयी क्षेत्रों में यह आम समस्या है क्योंकि यहां बादल बहुत कम ऊंचाई पर बनते हैं और टकराकर फट जाते हैं।
बचाव के लिए क्या करें?
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पहाड़ी रास्तों से फिलहाल बचें
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नदी-नालों के आसपास न जाएं
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मौसम अपडेट्स पर नजर रखें
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प्रशासन के निर्देशों का पालन करें
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मोबाइल चार्ज और टॉर्च पास में रखें
अब सवाल यह – इंद्र देव किसके यार बने बैठे हैं?
बारिश की इस बेहिसाब मार से यही सवाल उठता है – “इंद्रा देव ये किसका यार हंस रहा है?” क्योंकि जीना मुश्किल कर दिया है आपने महाराज! अब ज़रूरत है एहतियात की, समझदारी की और प्रशासनिक सतर्कता की।
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