
सितंबर का महीना जाते-जाते उत्तराखंड पर कहर बनकर टूट पड़ा। गुरुवार सुबह चमोली जिले के नंदानगर और कुंतरी गांव में बादल फटने की घटना से तबाही मच गई। कई घरों पर मलबा आ गिरा और अब तक 6 घर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। साथ ही 10 लोगों के लापता होने की खबर ने चिंता बढ़ा दी है।
घर बने मलबे का ढेर, 2 लोगों को बचाया गया
जैसे ही हादसे की खबर मिली, NDRF, SDRF और पुलिस की टीमें राहत और बचाव कार्य के लिए तुरंत रवाना की गईं। अब तक 2 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है, लेकिन कई जानवर और लोग अब भी लापता हैं। मौके पर मेडिकल टीमें और 3 एम्बुलेंस भी पहुंची हैं।
मौसम विभाग का अलर्ट, खतरा अभी टला नहीं
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कई जिलों — देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। संवेदनशील इलाकों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है, और नदी किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
DM चमोली का बयान: “हालात गंभीर हैं, रेस्क्यू जारी है”
चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया:
“नंदानगर घाट क्षेत्र के कुंत्री लंगाफली वार्ड में बादल फटने से 6 घर मलबे में दबे हैं। राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि 2025 में अब तक की यह सबसे भयावह घटना हो सकती है, क्योंकि इलाके में पहाड़ी ढलानों से लगातार मलबा गिर रहा है।
कहां-कहां हुआ असर?
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कुंतरी गांव में सबसे अधिक नुकसान
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धुर्मा गांव से भी पानी और मलबे के बहाव की खबरें
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देहरादून, ऋषिकेश में भी भारी बारिश से जलभराव
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टपकेश्वर मंदिर में 2 फीट मलबा भरने की खबर
राज्य प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। सभी SDRF/NDRF यूनिट्स, स्थानीय पुलिस और हेल्थ डिपार्टमेंट को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। स्थानीय लोगों से भी प्रशासन ने भ्रामक सूचनाओं से बचने और प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
कुदरत का कहर या सिस्टम की लापरवाही?
प्रकृति का कहर कभी भी बरस सकता है — लेकिन सवाल ये भी है कि क्या हमारी तैयारी उतनी तेज है जितनी तेज ये आपदाएं होती हैं?
उत्तराखंड जैसी पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून की ये घटनाएं साल दर साल विकराल होती जा रही हैं। अब वक्त आ गया है जब प्रिवेंटिव एक्शन और स्मार्ट वॉर्निंग सिस्टम को ग्राउंड लेवल पर उतारा जाए।
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