
पहलगाम के बर्फीले पहाड़ों से जब आतंक की आग निकली और 26 निर्दोष लोगों की जान गई, तब भी पाकिस्तान चुप था।
अब जब अमेरिका ने TRF को Foreign Terrorist Organization (FTO) और SDGT घोषित किया, तो पाकिस्तान ने कंधे उचकाकर कहा – “हमें इससे कोई दिक्कत नहीं।”
विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार वॉशिंगटन में बोले, “अगर अमेरिका के पास सबूत हैं तो बढ़िया बात है, हम तो खुले दिमाग वाले हैं!”
मतलब अगर अमेरिका कल कह दे कि TRF चांद पर भी हमला कर चुका है, तो पाकिस्तान शायद बोले – “वाह, वैज्ञानिक प्रगति हो रही है।”
TRF की करतूतें: पहलगाम से श्रीनगर तक – मासूमों का टारगेट किलिंग
2019 में अस्तित्व में आए TRF ने
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श्रीनगर में ग्रेनेड अटैक
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कश्मीर में टारगेट किलिंग
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और हाल ही में बैसरन घाटी में 26 निर्दोषों की हत्या को अंजाम दिया।
लेकिन पाकिस्तान अब भी कहता है, “TRF का लश्कर से कोई लेना-देना नहीं है।”
बिल्कुल वैसे ही जैसे “पानी में भीगने का बारिश से कोई लेना-देना नहीं।”
लश्कर से संबंध? पाकिस्तान बोला – “वो तो खत्म हो गया था!”
डार साहब ने आगे कहा, “लश्कर-ए-तैयबा को हमने सालों पहले खत्म कर दिया। केस हुए, जेल भेजा गया, सब क्लोज।”
सवाल ये है कि अगर लश्कर खत्म हो गया, तो TRF कौन सी एक्सटेंशन पैक है?
असली मुद्दा ये नहीं कि पाकिस्तान की स्टोरी में कितना दम है, असली मुद्दा ये है कि हर बार स्क्रिप्ट एक जैसी क्यों होती है?

भारत का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर – आतंक के 9 अड्डे तबाह
भारत ने भी TRF को 2023 में UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित किया था। और जब पहलगाम हमला हुआ, तो 6-7 मई की रात भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बना डाला — वो भी PoK के अंदर।
ये था भारत का ‘कूटनीतिक बयान’ — बिना माइक, बिना मंच, सीधा एक्शन।
कूटनीति बनाम ‘कूल’ नीति: पाकिस्तान का हर जवाब बन गया मीम
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अमेरिका: TRF is a terrorist group.
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भारत: We agree, और कार्रवाई भी की।
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पाकिस्तान: Hmm… okay, no objection.
क्या पाकिस्तान को अब भी सबूत चाहिए, या Google Map भेज दें आतंकियों के अड्डों के साथ?
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