
असम के लंका रेलवे स्टेशन पर नागालैंड एक्सप्रेस में ड्यूटी पर तैनात टीटीई भजन मालाकार, यात्रियों से नकदी लेकर टिकट के बदले सादा कागज़ पर नाम-पता नोट करते हुए पकड़े गए हैं — और वो भी वीडियो कैमरे में!
अब तक ये जादूगरियाँ सिर्फ़ जादू के शो में देखी थीं, लेकिन मालाकार जी ने दिखा दिया कि भारतीय रेलवे में ‘टिकट का विकल्प’ भी उपलब्ध है — बस कैमरा ऑन मत होना चाहिए।
‘कैश पेपर एक्सप्रेस’ का वायरल वीडियो
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि TTE साहब:
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नकद पैसे ले रहे हैं
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कंप्यूटर/ETM तो दूर, कोई वैध टिकट बुकिंग स्लिप भी नहीं
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सिर्फ़ कागज़ पर नाम लिखकर यात्रियों को “चलो आगे बढ़ो” की इजाज़त
जैसे किसी लोकल बस में टिकट नहीं, सिर्फ़ मुंशी का नाम लिखवा लिया हो!
रेलवे की रेपुटेशन पटरी से उतर रही है?
भजन मालाकार, NF रेलवे (लुमडिंग डिवीजन) के अधीन आते हैं, जिसका हेडक्वार्टर गुवाहाटी के मालीगांव में है। यह घटना रेलवे की अंदरूनी जवाबदेही और डिसिप्लिन सिस्टम को लेकर नई बहस खड़ी कर रही है।
सिर्फ़ यही नहीं — इससे पहले भी डिप्टी CTC सुमित कुमार सिंह पर ऐसे ही आरोप लगे थे, और वापसी भी VIP स्टाइल में हो गई थी। सवाल ये है — क्या भ्रष्टाचार का टिकट रिटर्न नहीं होता?
जनता का गुस्सा: “हम टिकट खरीदें या ट्रस्ट?”
स्थानीय नागरिकों और यात्रियों ने की:
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तत्काल जांच की मांग
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पारदर्शिता की माँग
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सख्त दंड और सस्पेंशन की उम्मीद
रेलवे अब तक चुप है, पर वीडियो की तेज़ी से फैलती क्लिपिंग शायद उन्हें नींद से उठा ही दे।
Inner Reality of Indian Railways: टिकिटिंग नहीं, ट्रिक-इटिंग!
कभी UPI नहीं चलता, कभी रसीद नहीं मिलती, कभी TTE ही आउट ऑफ़ सिस्टम निकलता है।
भारतीय रेलवे को चाहिए:
100% डिजिटल टिकटिंग
ऑन-ड्यूटी निगरानी
सख्त सेवा अनुशासन
यात्रियों के लिए शिकायत पोर्टल की तुरंत ऐक्सेस
रेलवे में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं, लेकिन अब सोशल मीडिया का CCTV चालू हो गया है। ऐसे मामलों में देर-सबेर नहीं, अब डायरेक्ट डेडिकेशन से एक्शन लेना ज़रूरी है।
वरना कल को ट्रेन में TTE कहेगा – “QR कोड स्कैन नहीं, QR CODE बोल के पैसे दे दो!”