ट्रंप-तालिबान: नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सबसे मसालेदार जोड़ी

अजमल शाह
अजमल शाह

अगर नोबेल कमिटी शांति के नाम पर किसी को अवॉर्ड दे तो क्या बेहतर होगा, ट्रंप और तालिबान के जोड़ से? हाँ, वही ‘मिलावटदार’ जोड़ जो शांति के साथ विवादों की भी फुलशकल डोज़ लगाता है।

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ट्रंप और तालिबान: शांति की जोड़ी या ड्रामा क्वीन?

यादगार डील में, जब ट्रंप ने तालिबान से हाथ मिलाया, शायद उन्हें पता था कि यह शांति नहीं, बल्कि एक बड़ा ड्रामा होगा। जैसा कि कहते हैं — “शांति की डोज़ में थोड़ा तड़का चाहिए!”

विमान में फ्यूल कम, ट्वीट्स में आग, और समझौतों में ट्विस्ट — ट्रंप-तालिबान ने शांति के नाम पर ‘सस्पेंस थ्रिलर’ जैसा सीन सेट कर दिया।

नोबेल कमिटी का सिरदर्द: इनको पुरस्कार दे या हंसी रोकें?

नोबेल कमिटी सोच रही होगी — “इन दोनों को शांति का पुरस्कार दें या ‘दबंग 2’ के लिए बेस्ट एक्टर का?” कहीं पुरस्कार समारोह कॉमेडी शो तो नहीं बन जाए!

आखिर क्यों दे दिया जाए संयुक्त नोबेल?

  • ट्रंप ने शांति वार्ता को इतना ट्विस्ट किया कि हॉलीवुड भी शरमा जाए।

  • तालिबान ने शांति के मसाले में वो तड़का डाला कि विवादों की रेस में हमेशा सबसे आगे रहे।

  • दोनों की जोड़ी शांति और ड्रामे का ऐसा मिश्रण है, जिसे देखकर शायद नोबेल कमिटी भी कहे — “यह तो सोचना पड़ेगा।”

शांति, तंज और नोबेल की ट्रॉफी

शांति की परिभाषा अब इतनी मसालेदार हो गई है कि नोबेल कमिटी के लिए यह निर्णय लेना ‘मिर्ची-मैचिस’ से कम नहीं। ट्रंप और तालिबान की जोड़ी ने साबित कर दिया कि शांति कभी-कभी ‘कॉमेडी ऑफ़ एरर्स’ भी हो सकती है।

तो अगली बार जब कोई कहे ‘नोबेल शांति पुरस्कार’, तो ज़रा सोचिएगा कि कहीं ट्रंप-तालिबान की कोई नई वेब सीरीज तो शुरू नहीं हो रही!

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