
अमेरिका और ब्राज़ील के बीच राजनीतिक-आर्थिक साज़िश और टैरिफ़ युद्ध का नया अध्याय खुल गया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने 9 जुलाई को धमकी दी कि अगर ब्राज़ील सरकार पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के खिलाफ ‘राजनीतिक साज़िश’ बंद नहीं करती, तो वो 1 अगस्त से 50% टैरिफ लगा देंगे।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने इस धमकी को ‘अस्वीकार्य ब्लैकमेल’ बताते हुए टीवी पर खुलेआम ट्रंप को जवाब दे डाला।
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टैरिफ़ का तीर, लेकिन निशाना राजनीति?
ट्रंप का कहना है कि ब्राज़ील, बोल्सोनारो को टारगेट कर रहा है — इसलिए अमेरिका को भी “ट्रेड हथियार” उठाना होगा।
अब सवाल ये है:
क्या ये टैरिफ़ ट्रेड प्रोटेक्शन के नाम पर पॉलिटिकल हस्तक्षेप है?
लूला डा सिल्वा ने स्पष्ट कर दिया कि ब्राज़ील की न्यायिक प्रक्रिया को किसी विदेशी नेता की धौंस से नहीं चलाया जाएगा।
लूला का पलटवार: “देश के नाम पर ट्रंप के नाम की राजनीति?”
अपने टेलीविजन भाषण में लूला ने कहा:
“ट्रंप की ये धमकी सिर्फ ब्राज़ील नहीं, लोकतंत्र को धमकाने जैसा है। यह देश विरोधी ब्लैकमेल है।”
उन्होंने उन ब्राज़ीलियाई नेताओं को भी लपेटे में लिया जो ट्रंप के साथ खड़े हैं:
“ट्रंप समर्थक नेता ब्राज़ील की आत्मा को गिरवी रख रहे हैं।”
जब व्यापार में “भावनात्मक ब्लैकमेल” घुस जाए!
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ट्रंप: “अगर बोल्सोनारो को सज़ा मिली, तो ब्राज़ील को टैक्स मिलेगा!”
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लूला: “भाई, ये कोर्ट है, कोई WWE नहीं!”
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टैरिफ़ लगाने की धमकी या अमेरिका की नई “डील विद ब्लैकमेल” स्कीम?
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अगला कदम शायद ये हो:
“PayPal में बोल्सोनारो को सपोर्ट करो, और टैरिफ़ छूट पाओ!”
क्या बातचीत से निकलेगा हल?
यदि 1 अगस्त तक दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं होता, तो टैरिफ़ लागू कर दिया जाएगा।
ब्राज़ील की अर्थव्यवस्था, जो अमेरिका के साथ भारी व्यापार पर निर्भर है, इससे प्रभावित हो सकती है। लेकिन लूला सरकार कूटनीतिक माध्यमों से हल निकालने की बात कह रही है।
चुनावी रैलियों से शुरू, वैश्विक पॉलिसी तक पहुंचा ट्रंपवाद?
इस पूरे घटनाक्रम में एक बात साफ है — अमेरिकी राजनीति का प्रभाव अब व्यापार की सीमाओं को लांघ रहा है।
और लूला की बातों से भी साफ है कि अब कोई देश सिर्फ धमकी पर नीति नहीं बदलेगा।
मिया! हम लखनऊ वाले हैं, चिकन खाते भी हैं और पहनते भी हैं, मिलो फुर्सत में