
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर भड़कते हुए 50% टैरिफ का ऐलान कर दिया है। उनका मानना है कि “जो अमेरिका से पूछे बिना फैसले लेगा, उस पर ‘टैक्स रियासत’ नहीं चलेगी।”
अब भारत बोले — “भाई, तेल है ज़रूरत, न कि इजाज़त लेकर लेने वाला गिफ्ट!”
रूस का करारा जवाब: “तेल ज़रूरत है, अपराध नहीं!”
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने अमेरिका की नाराज़गी को “अनैतिक दबाव” कहा और भारत का खुला समर्थन किया।
“भारत के फैसले अमेरिका की परमिशन से नहीं, अपनी पॉलिसी से चलते हैं।”
रूस ने तो ट्रंप के टैरिफ को ही “ओवररिएक्शन विद टैक्सेशन” की उपाधि दे डाली — अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नया ट्रेंड सेट हो गया है!
ब्राज़ील की बॉन्डिंग: “India भाई, साथ हैं हम!”
ब्राज़ील खुद भी ट्रंप के टैरिफ का शिकार रहा है। लेकिन उसने भारत को तुरंत भरोसा दिया:
“हम भारत के साथ ट्रेड और डिफेंस दोनों में सहयोग बढ़ाएंगे। टैरिफ तो आते-जाते रहते हैं, दोस्ती बनी रहनी चाहिए।”
राजनीति में बहुत कम ऐसे मौके आते हैं जब कोई देश इतना ब्रोकोड निभाता है।
ईरान का खुला ऑफर: “तेल लो और दोस्ती में टॉप बनो”
भारत में ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही ने कहा कि BRICS एक ऐसा मंच है जिससे भारत अमेरिकी टैरिफ को बायपास कर सकता है। और साथ ही भारत से फिर से तेल खरीद शुरू करने की अपील की।
“तेहरान दिल्ली से कह रहा है — चलो फिर से दोस्ती की वही पुरानी राह पर!”
BRICS कार्ड: अमेरिका को शांति से जवाब
अब जब अमेरिका ‘टैरिफ की तलवार’ चला रहा है, भारत के पास है BRICS का शील्ड। रूस, ब्राज़ील, ईरान – तीनों ही भारत के साथ कंधे से कंधा मिला रहे हैं। इस संकट में, भारत ग्लोबल सपोर्ट के साथ एक नई ट्रेड डिप्लोमेसी की कहानी लिख रहा है।
ट्रंप की धमकी के आगे भारत की कूटनीति
ट्रंप भले ही अमेरिका में फिर से चुनावी रथ हांक रहे हों, लेकिन भारत की विदेश नीति अब “No Panic, Just Strategic” मोड में आ चुकी है। रूस से तेल लेना अब सिर्फ एक डील नहीं, बल्कि डिप्लोमैटिक स्टेटमेंट बन चुका है।
और दोस्त देश यही कह रहे हैं —
“तेल लो भाई, टैक्स की टेंशन मत लो!”
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