
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में मिर्च-मसाला छिड़क दिया है। 1 अगस्त से भारत से आने वाले हर उत्पाद पर 25% टैरिफ़ लगाया जाएगा। और हां, रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए भारत को एक अतिरिक्त जुर्माना भी मिलेगा – बिल्कुल बोनस की तरह!
“भारत हमारे साथ व्यापार नहीं करता, पर बेचता बहुत है”
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Truth Social पर बम फोड़ा:
“भारत हमें बहुत कुछ बेचता है, पर हम उनसे कुछ नहीं खरीदते – क्योंकि उनके टैरिफ़ दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं।”
दक्षिण कोरिया की स्मार्ट चाल, भारत की धीमी सोच
दक्षिण कोरिया ने वक्त रहते अमेरिका के साथ ट्रेड डील कर ली। नतीजा? सिर्फ 15% टैरिफ़। और भारत? अभी भी ‘हम चर्चा कर रहे हैं’ की मीटिंग में व्यस्त है।
अमेरिकी आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा:
“भारत के बाज़ार में अमेरिकी उत्पादों को एंट्री नहीं मिलती। अब भारत अपने रेट खुद घटाएगा!”
“यह सिर्फ व्यापार नहीं, डॉलर पर हमला है”
ट्रंप ने इस बार मामला सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने इसे सीधे डॉलर बनाम ब्रिक्स का मुद्दा बना दिया:
“ब्रिक्स देश अमेरिका के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। भारत भी उन्हीं में से एक है। हम डॉलर पर हमला नहीं होने देंगे!”
बोलते-बोलते ट्रंप ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव को भी घसीट लिया और उन्हें चेतावनी दी कि:
“संभल जाओ, तुम बहुत खतरनाक ज़मीन पर चल रहे हो।”
“मोदी मेरे दोस्त हैं… लेकिन”
बातों-बातों में ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को “मेरा दोस्त” भी कहा, और साथ में ये भी जोड़ दिया:
“लेकिन भारत ट्रेड डील में ढीला है। देखते हैं अब क्या होता है।”
एक तरफ़ दोस्ती की बातें, दूसरी तरफ़ 25% की मार — इसे ही शायद ‘डील के नाम पर डंडा’ कहते हैं।
अखिलेश यादव: “बुरे दिनों की शुरुआत है”
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव बोले:
“ये बुरे दिनों की शुरुआत है। नौजवानों को रोज़गार चाहिए, ना कि टैरिफ़ और ट्रेड वॉर!”
अब भारत क्या करेगा?
भारत सरकार की ओर से अब तक कोई तीखा जवाब नहीं आया है। विदेश मंत्रालय ‘स्थिति का आकलन’ कर रहा है और वित्त मंत्रालय ‘प्रभाव की समीक्षा’ में व्यस्त है।
लेकिन जनता सोच रही है — क्या Made in India अब सिर्फ Made Expensive in USA बनकर रह जाएगा?