जिन्हें त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मना किया, उन्हें बेलोनिया कोर्ट ने बेल दे दी

Lee Chang (North East Expert)
Lee Chang (North East Expert)

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने बेलोनिया के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के उस फैसले पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है, जिसमें हत्या के गंभीर आरोप झेल रहे छह व्यक्तियों को ज़मानत दे दी गई, जबकि इन्हीं आरोपियों की याचिका को उच्च न्यायालय पहले ही ठुकरा चुका था

अब न्यायमूर्ति विश्वजीत पालित ने न केवल रजिस्ट्रार (न्यायिक) को जांच के आदेश दिए हैं, बल्कि उन छह आरोपियों को नोटिस जारी कर कारण बताओ नोटिस भी थमा दिया है — कि आखिर क्यों न उनकी ज़मानत रद्द कर दी जाए

मामला: सीपीआई (एम) नेता की हत्या और ज़मानती ‘उलटफेर’

यह पूरा विवाद 12 जुलाई की उस भयावह घटना से जुड़ा है, जब दक्षिण त्रिपुरा जिला परिषद चुनावों के दौरान CPI(M) उम्मीदवार बादल सिहाल पर छोटाखोला में भीड़ ने क्रूरतापूर्वक हमला किया, जिसकी वजह से अगले दिन उनकी मृत्यु हो गई।

  • एफआईआर में हत्या का मामला दर्ज

  • सात लोग गिरफ्तार

  • चार्जशीट दाख़िल

  • और फिर शुरू हुआ बेल का ‘लीगल सर्कस’

ऊपरी अदालत की “ना” को निचली अदालत ने “हाँ” में बदला

  • पहले बेल याचिका बेलोनिया कोर्ट ने ही खारिज की थी

  • फिर आरोपी पहुंचे हाईकोर्ट, वहाँ भी मार्च 2025 में याचिका खारिज — ठोस सबूतों का हवाला देते हुए

  • इसके बाद आरोपी जुलाई में फिर बेलोनिया कोर्ट लौटे

  • और कोर्ट ने इस बार “मुकदमे की शुरुआत” का बहाना बनाकर ज़मानत दे दी!

यानी जैसा कि पब्लिक कह रही है:

“सुप्रीम कोट से नहीं मिला? कोई नहीं, नीचे की कोर्ट से ट्राई कर लो!”

हाईकोर्ट का सवाल: क्या ये आदेश की अवहेलना नहीं?

न्यायमूर्ति पालित ने सख्त लहजे में कहा कि यह सीधा-सीधा उच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी है और अगर जांच में कदाचार या लापरवाही सामने आई, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

रजिस्ट्रार न्यायिक को आदेश दिया गया है कि वो देखे कि बेल कैसे, क्यों और किस आधार पर दी गई — और कौन ज़िम्मेदार है।

अधिवक्ता का बयान: “बेल तो मिल गई, पर सिस्टम बेल-बेल कर चिल्ला रहा है”

वकील पुरुषोत्तम रॉय बर्मन ने कहा:

“जब हाईकोर्ट ने सबूतों को ठोस माना, तो फिर उसी केस में निचली अदालत ने इतनी जल्दी यू-टर्न क्यों लिया? क्या ये सिस्टम की कमज़ोरी नहीं?”

क्या बेल की बेलगाम प्रक्रिया पर ब्रेक लगेगा?

यह केस भारत की न्यायिक जवाबदेही पर एक और बड़ा टेस्ट है।

  • क्या एक आरोपी अदालत दर अदालत बेल के लिए शॉपिंग करता रहेगा?

  • क्या निचली अदालतें ऊपरी आदेशों को हल्के में लेंगी?

  • और क्या जनता को न्याय मिलेगा या फिर कागज़ों पर बेल और ग्राउंड पर खेल?

इन सभी सवालों के जवाब आने वाले हफ्तों में जांच रिपोर्ट और हाईकोर्ट के अगली सुनवाई में मिलेंगे।

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