बड़ा मंगल पर पेड़ भी प्रसाद हो सकते हैं, ये लखनऊ ने सिखाया है

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

कल लखनऊ में बड़ा मंगल की अंतिम मंगल तिथि थी और पूरे शहर में भक्ति, उल्लास और भंडारों का माहौल था। हर गली, हर चौराहे पर श्रद्धालु पूड़ी, सब्जी, हलवा और पेय बांटते नजर आए। पर इस पूरे आयोजन में एक भंडारा सबसे खास और हटके था—पेड़ों का भंडारा!

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जब पेड़ बन गए प्रसाद: भूपेश रॉय की खास पहल

भूपेश रॉय ने बड़ा मंगल को खास बनाने के लिए न सिर्फ पेड़ लगाए, बल्कि राह चलते श्रद्धालुओं को वृक्ष वितरण कर पर्यावरण के लिए एक मजबूत संदेश भी दिया।
उनका कहना था:

“हम आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध हवा दें, ये मेरी तरफ से छोटा लेकिन दमदार योगदान है।”

इस अनोखे भंडारे में तुलसी, नीम, अमरूद, अशोक और आम जैसे पौधे शामिल थे—यानि श्रद्धा और छांव दोनों का संगम।

इस अभियान के दौरान हेलो यूपी के ग्रुप एडिटर जीशान हैदर भी मौजूद थे। उन्होंने कहा:

“कदम-कदम पर हलवा पूड़ी के साथ पेड़ भी बंट रहे हैं… ये लखनऊ है साहब! यहां भक्ति में भी पर्यावरण झलकता है।”

युवाओं ने पेड़ लेकर कहा, “अब हमारी छत पर ये पूजा के साथ लगेगा!

पेड़ लगाओ, मंगल मनाओ!

यह पहल सिर्फ एक दिन की नहीं थी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हरियाली की शुरुआत थी। शहरवासियों में इसे लेकर जबरदस्त उत्साह दिखा।

बड़ा मंगल का बड़ा संदेश

जहाँ अधिकतर भंडारे भोजन के होते हैं, वहाँ भूपेश रॉय ने प्रकृति को प्रसाद बनाया। इस पहल ने साबित किया कि पूजा, सेवा और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं। अब ज़रूरत है कि इस जागरूकता को हर शहर और मोहल्ले तक फैलाया जाए।

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