“चूहे-राज” में इलाज! पटना के सरकारी अस्पताल में मरीज़ की उंगलियां कुतरी

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (NMCH) से एक हैरान और शर्मनाक घटना सामने आई है। 55 वर्षीय अवधेश प्रसाद, जो पहले से एक पैर गँवा चुके हैं और अब दाएं पैर की सर्जरी के बाद इलाजरत हैं — उनकी उंगलियों को अस्पताल में सोते समय चूहों ने कुतर डाला।

कौन हैं मरीज़?

  • नाम: अवधेश प्रसाद

  • उम्र: 55 वर्ष

  • पेशा: मज़दूर (दिल्ली निवासी)

  • स्थिति: एक पैर पहले ही कट चुका है

  • बीमारी: डायबिटिक न्यूरोपैथी

जब नींद टूटी तो बिस्तर पर खून था…

अवधेश बताते हैं:

“रात में सीने पर कुछ चलने का एहसास हुआ… देखा तो चूहा था। पांव खून से लथपथ था। पत्नी रोने लगी, डॉक्टरों को बताया तो बस ड्रेसिंग कर दी।”

पत्नी शीला देवी ने कहा, “हम इलाज के लिए आए थे, अब और संकट में हैं। सरकार को मदद करनी चाहिए।”

सुपरिटेंडेंट ने कहा — “चूहे तो सभी जगह हैं”

अस्पताल की सुपरिटेंडेंट डॉ. रश्मि प्रसाद का बयान भी चौंकाने वाला है:

“चूहे हर जगह होते हैं… घटना चूहे से हुई या नहीं, यह निश्चित नहीं कह सकती।”

लेकिन एक वरिष्ठ डॉक्टर ने पुष्टि की है कि:

“हां, चूहे ने ही मरीज़ की उंगलियां कुतरी हैं। पट्टी हटाकर इंसान ऐसा करेगा भी क्यों?”

मच्छरदानी से चूहे रोकने की कोशिश?

घटना के बाद अस्पताल में मच्छरदानियाँ बांटी गईं, जबकि मरीज़ों ने तंज कसते हुए कहा:

“चूहे को मच्छरदानी क्या रोकेगी?”
“हम शिफ्ट में जागते हैं — एक सोए तो दूसरा चूहे से पहरा दे।”

डायबिटिक न्यूरोपैथी से घटा पांव का संवेदन

डॉक्टरों के अनुसार, अवधेश डायबिटिक न्यूरोपैथी से पीड़ित हैं — जिसमें पांव में संवेदना कम हो जाती है। इसलिए उन्हें चूहे के काटने का तुरंत पता नहीं चला।

अस्पताल का बुनियादी ढांचा बना खतरा

  • 80 एकड़ का परिसर, 970 बेड, लेकिन

  • पास ही बहता है सैदपुर-पहाड़ी नाला,

  • पुरानी बिल्डिंग, खोखली ज़मीन, और चूहों की भरमार!

ये पहली बार नहीं है!

  • नवंबर 2024 में एक शव की आंख कुतर दी गई थी।

  • तब भी कहा गया — चूहा ज़िम्मेदार हो सकता है, पर कोई पुख्ता निष्कर्ष नहीं निकला।

विपक्ष का हमला, सरकार की सफाई

तेजस्वी यादव बोले:

“हमने स्वास्थ्य सेवाएं सुधारी थीं, भाजपा ने फिर बिगाड़ दीं।”

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय:

“जांच के आदेश दे दिए गए हैं।”

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद ICU में है।
जहां इलाज की जगह चूहों का राज है और लाचार मरीज़ों की सुरक्षा तक पक्की नहीं, वहां मच्छरदानी से चूहों को रोकना क्या बिहारी जुगराफिया नहीं?

सवाल अब यह है कि मर्ज़ क्या चूहा है, या सिस्टम में लगी दीमक?
और हाँ, अगली बार अस्पताल जाएं तो पर्चा, पेन और पैडलॉक वाली मच्छरदानी साथ ले जाएं।

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