चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था, शेयर बाजार बोला: “अब और किस बात की देरी है?”

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन

भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की खबर ने घरेलू शेयर बाजारों में जबरदस्त जोश भर दिया। इस जोश में सेंसेक्स 455 अंक उछल गया, निफ्टी ने 25,000 का आंकड़ा पार कर लिया और निवेशकों ने राहत की सांस ली।

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सेंसेक्स-निफ्टी ने मारी छलांग

  • सेंसेक्स: 455.37 अंक ↑ (82,176.45)

  • निफ्टी: 148 अंक ↑ (25,001.15)

  • यह 16 मई के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।

कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने एक समय 771 अंक तक की छलांग भी लगाई। यानी बाजार ने कहा – “अब इंतज़ार किस बात का?”

ऑटो और आईटी स्टॉक्स चमके

सबसे अधिक 2.17% की बढ़त महिंद्रा एंड महिंद्रा में देखी गई। वहीं, एचसीएल टेक, टाटा मोटर्स, आईटीसी और टेक महिंद्रा ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।

वहीं दूसरी ओर, इटरनल, अल्ट्राटेक सीमेंट और पावर ग्रिड जैसे कुछ स्टॉक्स गिरावट के शिकार हुए, जिनमें इटरनल ने 4.51% की गिरावट के साथ निराश किया।

भारत बनी चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था — बाजार ने किया सेलिब्रेट

भारत अब जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, और निवेशकों ने इसे पूरा दिल से सेलिब्रेट किया।

साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का लाभांश दिया है, जिससे सरकार को रक्षा खर्च और आर्थिक योजनाओं में मजबूती मिलेगी।

अमेरिका से राहत, मानसून से उम्मीद

अमेरिका ने EU पर 50% टैरिफ लगाने को 9 जुलाई तक टाल दिया है, जिससे वैश्विक बाज़ारों में राहत की लहर आई।

साथ ही, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में समय से पहले दस्तक दी, जो 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन है — किसानों और निवेशकों, दोनों के लिए खुशखबरी।

“अब तो शेयर बाजार भी मौसम का पूर्वानुमान देखकर चलता है!”

विदेशी निवेशकों की वापसी

एफआईआई ने शुक्रवार को ₹1,794.59 करोड़ की इक्विटी खरीदी। इसका मतलब, विदेशी निवेशकों ने भी कह दिया — “भारत इज़ बैक इन बिज़नेस।”

अमेरिका-चीन की हलचल और तेल की चाल

  • ब्रेंट क्रूड: 0.17% ↑ (64.89 डॉलर प्रति बैरल)

  • अमेरिका के बाजार शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुए, लेकिन एशियाई और यूरोपीय बाजारों ने संतुलन बनाए रखा।

बाजार में भरोसा, अब बारी स्थिरता की

भारतीय शेयर बाजार ने एक बार फिर दिखा दिया कि जब अर्थव्यवस्था का सर्टिफिकेट मिलता है, तो सेंसेक्स और निफ्टी भी खुशी से उछल पड़ते हैं। मगर असली सवाल है — क्या यह तेजी टिकाऊ होगी, या फिर यह सिर्फ एक दिन की खुशी है?

“आंकड़े बड़े हों, मगर भरोसा उससे भी बड़ा — तभी असली बुल रन आएगा!”

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