
शशि थरूर, जिन्हें बेबाक बयानबाज़ी से जाना जाता है, ने पीएम मोदी को भारत की “प्राइम एसेट” करार दिया। कांग्रेस के भीतर हलचल मच गई—सवाल उठ रहे हैं—क्या यह पप्पू कह रहा है कि गुलाब है गुलशन का फुल, और काँटा भी फूल? चुपके से गुलाब बेच रहा हूँ”—वापस खोलेगा ‘उत्तरपूर्व की दुकान’ या नए ‘स्टैंड-अप स्पेशल’ की तैयारी?
तालिबान का धमाकेदार डेब्यू: OIC मंच पर इजराइल-अमेरिका को चुनौती!
‘ऑपरेशन सिंदूर’ बना कूटनीतिक चॉकलेट
थरूर ने लिखा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैन्य था, बल्कि उसके बाद कूटनीति की फुटवर्क भी जबरदस्त दिखी—इसे अमेरिका, ब्राज़ील, पनामा, कोलंबिया तक पहुंचाया। थरूर खुद उस दल का ‘फॉरवर्ड प्लेयर’ बने। “सिंधूर लगाया, मिशन कराया—and diplomat खिलवाया!
मोदी, लिबरल या ‘लिब्रोटल’ पॉलिसी मैन?
थरूर का ट्रैक रिकॉर्ड दिखाता है कि वह विचारधारा से ज़्यादा पॉलिसी और पर्सनैलिटी पर भरोसा करते हैं। मोदी की ऊर्जा और ग्लोबल संवाद को उन्होंने “ब्रांड इंडिया की रफ्तार” बताया—कांग्रेस लाइन से तेज! कांग्रेस गाड़ी में सीट बेल्ट का ऐलान करे या टोपी की ज़रूरत?
पार्टी में खलबली या क्लास एक्टिवेशन?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निराश हैं—“अगर एक सांसद पीएम को बेंचम्यां बना देगा, वोटरों को क्या समझाएंगे?” सवाल यह उठ रहे हैं कि थरूर अकेले ‘फरोख्ता’ हैं या कांग्रेस में नई ‘धारा’ बनने की शुरुआत है? “हो सकता है—थरूर पार्टी छोड़, ‘मोदीवाले’ पैनल में एडमिशन ले लें—‘Tharoor Fan Club’ के फर्स्ट प्रेसिडेंट!”
कांग्रेस का ‘थरूर टाइटेनियम टेस्ट’
शशि थरूर की इस तारीफ़ ने कांग्रेस को अंदर तक हिला दिया—क्या यह सिर्फ बयान था, या भविष्य की सियासी दिशा का संकेत? जब विपक्ष का नेता सत्ता को सराहता है, तो जनता क्या लेकर चलने वाली है: दिल से बदलाव या सिरफिरे बदलाव?