
थाईलैंड की एक अदालत ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा के ख़िलाफ़ चल रहे शाही अपमान (Royal Defamation) और राजद्रोह (Treason) के गंभीर मामलों को खारिज कर दिया है।
यह मामला 2015 में उस समय सामने आया था जब थाकसिन निर्वासन (exile) में रहकर एक दक्षिण कोरियाई अखबार को इंटरव्यू दे रहे थे।
2015 का इंटरव्यू बना मुसीबत की जड़
थाकसिन ने उस इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि थाईलैंड की शीर्ष शाही सलाहकार संस्था, प्रिवी काउंसिल (Privy Council), ने 2014 के सैन्य तख्तापलट (Military Coup) में भूमिका निभाई थी।
यही तख्तापलट उनकी बहन और तत्कालीन प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा की सरकार को गिराने का कारण बना।
15 साल की सजा का था खतरा
अगर थाकसिन को दोषी ठहराया जाता, तो उन्हें 15 साल तक की जेल हो सकती थी। लेकिन कोर्ट ने पाया कि पर्याप्त सबूत नहीं हैं, और मामला रद्द कर दिया गया।
क्या होता है थाईलैंड का लेसे-मैजेस्टे कानून?
थाईलैंड का लेसे-मैजेस्टे (Lèse-majesté) कानून, राजशाही की किसी भी आलोचना या अपमान को गंभीर अपराध मानता है।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह और लोकल एक्टिविस्ट्स लंबे समय से इस कानून का दुरुपयोग होने का आरोप लगाते आए हैं।

बेटी पैतोंगटार्न पर भी बढ़ रहा है दबाव
ये फैसला ऐसे समय पर आया है जब थाकसिन की बेटी और थाईलैंड की निलंबित प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा भी एक अदालत की जांच का सामना कर रही हैं।
अगर दोष साबित होता है, तो उन्हें भी पद से हटाया जा सकता है।
राजनीति में थाकसिन की वापसी का रास्ता साफ?
थाकसिन की घर वापसी के बाद जेल, फिर रिहाई, और अब इस केस से बरी होना — इन सभी घटनाओं ने थाई राजनीति में हलचल मचा दी है।
क्या थाकसिन एक बार फिर सत्ता की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं?
राजनीतिक पंडितों की नजरें इसी सवाल पर टिकी हैं।
थाईलैंड में यह फैसला केवल एक कानूनी केस का अंत नहीं, बल्कि एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत भी हो सकता है।
थाकसिन परिवार की राजनीति में मौजूदगी फिलहाल और भी मज़बूत होती दिख रही है।
“अमेरिका की दबंगई पर चीन का वार, भारत के साथ खड़ा रहेगा ड्रैगन!”
