
थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर चल रहे सैन्य संघर्ष में अब तक कम से कम 16 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई घायल हुए हैं। गुरुवार सुबह से दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी जारी है, और थाईलैंड ने कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले भी किए हैं।
शताब्दियों पुराना विवाद – क्यों है ये झगड़ा?
यह सीमा विवाद सौ साल से भी ज्यादा पुराना है, जिसकी शुरुआत तब हुई जब फ्रांसीसी उपनिवेशकाल के बाद सीमाएं तय की गईं। 2008 में तनाव तब और बढ़ा जब कंबोडिया ने विवादित इलाके में स्थित 11वीं सदी के प्रेह विहेयर मंदिर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनाने की कोशिश की, जिसका थाईलैंड ने विरोध किया।
प्रेह विहेयर मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
यूनेस्को के अनुसार, प्रेह विहेयर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण 11वीं सदी में हुआ था। यह कंबोडियाई लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने इस मंदिर को कंबोडिया की सीमा माना था, लेकिन सीमा विवाद आज भी बना हुआ है।
हाल के संघर्ष और सैन्य तनाव
मई 2025 में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत से रिश्ते और बिगड़े। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आर्थिक पाबंदियां लगाईं, और सीमा पर सैनिक तैनाती बढ़ा दी। हाल ही में सीमा पर ड्रोन निगरानी और लैंडमाइन विस्फोट जैसे घटनाओं ने झड़प को और भड़काया।
युद्ध के खतरे और वैश्विक प्रतिक्रिया
थाईलैंड ने चेतावनी दी है कि यह संघर्ष ‘युद्ध की ओर बढ़ सकता है’। अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया, और यूरोपीय संघ ने शांति की अपील की है और दोनों पक्षों से बातचीत की उम्मीद जताई है।
थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद आज भी ज्वलंत है और इसकी जड़ें इतिहास में गहराई तक फैली हैं। प्रेह विहेयर मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व ने इसे सिर्फ सीमा विवाद नहीं, बल्कि सांस्कृतिक टकराव भी बना दिया है। वैश्विक दबाव और कूटनीतिक प्रयासों के बिना इस संघर्ष का समाधान मुश्किल नजर आता है।