
टेस्ला ने आखिरकार भारत में अपना पहला शोरूम मुंबई में लॉन्च किया और मॉडल Y की कीमत लगभग $70,000 (~₹60–68 लाख) रखी—जो किसी भी अन्य प्रमुख बाजार की तुलना में बहुत अधिक है।
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आयात शुल्क की मार
भारत में पूर्ण निर्मित वाहन पर आयात शुल्क 70–110% तक पहुँचता है, जिससे टेस्ला की कीमत अमेरिका के $44,990 की तुलना में लगभग दुगनी हो गई है। एलन मस्क इसे “दुनिया की सबसे अधिक टैरिफ वाला बाज़ार” बता चुके हैं।
टेस्ला की रणनीति: टेस्ट या ट्रेंड-सेट?
टेस्ला फिलहाल स्थानीय उत्पादन नहीं कर रही है, बल्कि कारें आयात कर रही है—जिससे प्राइस और भी ऊंचा हुआ है। यह एक सॉफ्ट‑पावर एंट्री है, न कि वॉल्यूम‑फोकस्ड निवेश ।
“यह वॉल्यूम से ज़्यादा ब्रांड प्लांटिंग है।”
मॉडल Y की स्पेसिफिकेशन्स और तुलना
मॉडल Y आरडब्ल्यूडी, जिसमें:
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रेंज ~500 किमी
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लॉन्ग‑रेंज संस्करण ~622 किमी
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ड्राइवर‑सहायता + अतिरिक्त $7,000 में FSD
इसे मर्सिडीज़ ईक्यूबी, BMW iX1, किआ EV6 जैसे प्रीमियम EVs से टक्कर दी जाएगी।
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और भारत की राह
भारत में 1.46 अरब लोगों पर सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन मात्र ~26,000 हैं (लगभग एक स्टेशन प्रति 235 EV)। अमेरिका में ये संख्या कहीं ज़्यादा है ।
टेस्ला ने शुरू में मुंबई में चार चार्जर्स लगाने की घोषणा की, दिल्ली में भी जल्द विस्तार की तैयारी है।
भारत का EV इकोसिस्टम: टेस्ला से क्या मिलेगा?
टेस्ला अपनी ब्रांड वैल्यू से भारतीय EV इकोसिस्टम को मजबूत कर सकती है, लेकिन इसकी सीधी बिक्री पर बहुत कम प्रभाव होगा, क्योंकि प्राइस सेंसिटिव मार्केट में घर बना चुकी कंपनियाँ हल्के विकल्प दे रही हैं।
विशेष रूप से, टाटा जैसे ब्रांड्स का अवसरित हिस्सा ~60% तक है, जबकि टेस्ला केवल लगभग 4% लक्ज़री सेगमेंट तक ही सीमित हो सकती है।
क्या टेस्ला इंडिया की गेमचेंजर बनेगी?
टेस्ला की भारत में एंट्री एक प्रतीकात्मक मोड़ है। यह EV सेक्टर में निवेश और जागरूकता बढ़ायेगी—लेकिन तब तक जब तक स्थानीय निर्माण, चार्जिंग नेटवर्क, आर्थिक मूल्य और नैतिक समर्थन उतरेंगे, तब तक यह केवल एक ब्रांड स्टेटमेंट पैटर्न ही रहेगा जगमगाता।
इस समय इसका मुकाबला अन्य प्रेटेबल EVs से नहीं, बल्कि टैरिफ और टैक्स संरचना से हो रहा है।
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