
बिहार की सियासत में हर चुनाव मौसम की तरह आता है—कुछ गर्म हवा, कुछ ठंडी अफवाह। इस बार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सीधा दावा ठोक दिया कि “मेरा नाम ही वोटर लिस्ट में नहीं है!”
लेकिन चुनाव आयोग ने भी कमाल कर दिया। पूरा डेटा झाड़-पोंछकर लाया गया, और फिर बड़े ही ठाठ से मतदाता पर्ची दिखाई गई जिसमें तेजस्वी यादव का नाम और सीरियल नंबर 416 साफ-साफ चमक रहा था।
“416 नंबर की कुर्सी खाली है…”
चुनाव आयोग ने शायद थोड़ी फिल्मी स्टाइल में जवाब दिया—“Sir, aapka number aaya hai!”
मतदाता पर्ची में तेजस्वी जी का नाम, पिता का नाम, पता सब कुछ दर्ज था। अब सवाल ये है—क्या पर्ची छिप गई थी, या राजनीति में “पर्ची” भी स्टेटमेंट बन चुकी है?
राजनीति में भूले-बिसरे गीत
तेजस्वी जी ने जैसे ही कहा कि उनका नाम नहीं है, उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर हाहाकार मचा दिया। कुछ ने कहा “लोकतंत्र खतरे में”, तो किसी ने #SaveTejashwi ट्रेंड करा दिया।
पर जब आयोग ने slip जारी की, तो सारे मीम पन्ने एक्टिव हो गए— “भाई साहब, वोट देना है या फिल्म शूट करनी है?”
क्लीन बॉलिंग, विपक्ष की स्क्रिप्ट फेल?
तेजस्वी यादव भले ही विपक्ष के सबसे चमकते सितारे हों, लेकिन इस एपिसोड में चुनाव आयोग ने उन्हें साफ बोल्ड कर दिया। नाम लिस्ट में था, slip भी थी, बस शायद कैमरा उस वक्त ऑन नहीं था।
कहीं ये “नाम नहीं मिला” ड्रामा सिर्फ एक सियासी स्क्रिप्ट तो नहीं थी? या फिर बिहार की राजनीति में अब Voter Slip भी हॉट टॉपिक है?
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