
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर नीतीश कुमार की सरकार पर निशाना साधा है — और इस बार बाण पढ़ाई, कमाई, दवाई वाले क्विक-ड्राफ्ट स्लोगन से निकला।
“जिन्होंने 20 साल राज किया, उनसे कोई क्यों नहीं पूछ रहा कि बिहार अब भी पीछे क्यों है? – तेजस्वी यादव
बिहार में शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य का ‘विकास दर 2G स्पीड’
तेजस्वी का कहना है कि आज भी बिहार प्रति व्यक्ति आय, रोजगार, निवेश और शिक्षा जैसे हर मोर्चे पर सबसे पिछड़ा है। “हमने ‘पढ़ाई, कमाई, दवाई’ का नारा दिया – इन्होंने कॉपी कर लिया। ”
चुनावी ट्रैफिक: एक तरफ एनडीए, दूसरी तरफ RJD+Cong+CPIML और बीच में PK का स्कूटर
2025 के अंत में बिहार में चुनाव होने हैं और इस बार मुकाबला सिर्फ दो तरफा नहीं है। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी मैदान में उतर चुकी है — यानी अब मुकाबला “त्रिकोणीय” नहीं, “तीन पिलर से सपोर्टेड सियासी जुंबा” बन चुका है।
विशेषज्ञों का कहना है कि:
“इस बार चुनाव सिर्फ विकास पर नहीं, ‘किसने स्लोगन पहले कहा’ की बौद्धिक लड़ाई में बदल सकता है।”
जब स्लोगन बन जाए चुनावी मुद्दा!
बिहार चुनाव 2025 सिर्फ सीटों का नहीं, स्लोगनों का संग्राम बनने जा रहा है। जहां एक तरफ तेजस्वी अपने ‘विकास’ के शब्दकोष से वार कर रहे हैं, वहीं विपक्ष अभी भी “पिछले 20 सालों का रिपोर्ट कार्ड गूगल ड्राइव में अपलोड” कर रहा है।
चुनावी रणनीति अब घोषणाओं पर नहीं, “कौन पहले बोला?” इस कॉपीराइट जंग पर टिकी है।
बिहार की जनता अब ये सोच रही है — पढ़ाई, कमाई, दवाई चाहे जिसकी हो, अगली बार तो चाहिए ही, नहीं तो रोटी भी इंस्टाग्राम स्टोरी में सजेगी।
“टैरिफ और ट्वीट्स के बीच, ट्रंप को दिखा भारत का संतुलित स्वैग!”

