
बिहार में जइसे-जइसे विधानसभा चुनाव नजदीक आवत बा, सियासत में उबाल बढ़त जात बा। अब देखी ना — आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एलान कर देले कि आशा आ ममता कार्यकर्ताओं के प्रोत्साहन राशि अब 1500 से बढ़ा के सीधा 3000 रुपये हो गइल बा।
बाकी रुकिए… इहां असली फिल्म तब शुरू भइल जब तेजस्वी यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस कइके कहले, “हम त पहिले से ई बढ़ोतरी के फाइल पर साइन कइले रहनी, लेकिन इनका सरकार पलटी मार दीहलस!”
“20 साल त मूंगफली छील रहल बानी?”
तेजस्वी यादव ना ताना मारलन कि, “अब जब जनता इनकर पोल खोल रहल बा, त दौड़-भाग शुरू हो गइल बा। जवन घोषणा के ई लोग पहिले मजाक बना रहल रहे, अब ओकरे के कॉपी-पेस्ट कर रहल बा।”
उ कहले, “हम त आशा-ममता ना, आंगनबाड़ी सेविका, रसोइया, टोला सेवक सब के मानदेय बढ़वले रहीं। बाकिर इनका लोग के रत्ती भर अक्ल ना बा।”
सियासत के सड़ा-सड़ा पन्ना पलट गइल!
तेजस्वी यादव कहले कि आशा-ममता कार्यकर्ता के मानदेय ना, पूरा वेतन मिलल चाहिए। उ ऐलान कर दिहलन कि अगर उनकर सरकार आई त मानदेय ना, “रोजगारी वाला इज्जत वाला पैसा” मिलत रही।
उ कटाक्ष कइले, “ई सरकार त एतना थकी-हारी बा कि 17 महीना में जवन हम कइनी, ओकर फोटोकॉपी भी ना बना पावल।”
भोजपुरी में सियासी गदर: “डर बढ़िया बा…”
तेजस्वी यादव आखिर में ई भी जोड़ देले,
“ई डर बढ़िया बा नीतीश बाबू! बाकिर जनता अब नकल ना, असली चाहिए!”
बाकिर जनता भी अब पूछतिया — “20 साल में नीतीश बाबू साँचो मूंगफली छील रहल रहले का?”
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