
बिहार की सियासी गाड़ी एक बार फिर हाई गियर में है और इस बार ड्राइवर सीट के लिए भिड़ंत हो रही है तेजस्वी यादव बनाम ‘अनघोषित’ मंगल पांडेय में। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले ही बड़ी पटकथा लिख दी है:
“हम हर हाल में मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। और अगर बीजेपी जीतती भी है तो मंगल पांडेय सीएम बनेंगे।”
क्या ये सचमुच इनसाइडर जानकारी है? या फिर एक शातिर चाल?
मंगल पांडेय का नाम क्यों उछाला गया?
राजनीति के पुराने खिलाड़ी तेजस्वी ने जातीय संतुलन के नाम पर एक ब्राह्मण चेहरा फेंक दिया — मंगल पांडेय, जो दिखते तो शांत हैं, लेकिन शिगूफा उड़ा कर पूरे एनडीए खेमे में हलचल मचा दी है।
बिहार की राजनीति में 90 के दशक से पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्चस्व रहा है। ऐसे में अगर मंगल पांडेय जैसे ब्राह्मण को सीएम का चेहरा दिखा दिया जाए, तो पिछड़े, दलित और अतिपिछड़े वोटरों में “डर का ध्रुवीकरण” तेजस्वी की झोली भर सकता है।
तेजस्वी का सियासी पैंतरा या लालू स्टाइल कंफ्यूजन?
तेजस्वी के इस बयान में वो पुरानी लालू शैली की झलक है, जहां विपक्ष को खुद उसके ही सपनों में उलझा दिया जाता है।
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2015 में आरएसएस प्रमुख ने आरक्षण की समीक्षा की बात की थी, और लालू ने पूरे चुनाव को उसी मुद्दे पर घुमा दिया।
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2024 में तेजस्वी बोले — “400 सीट क्यों चाहिए? संविधान बदलना है क्या?”
अब 2025 में —
“मंगल पांडेय बनेंगे सीएम!”
बस, इतना कहकर उन्होंने NDA खेमे को खुद सोचने पर मजबूर कर दिया — “हमारी योजना तो कुछ और थी!”
सम्राट चौधरी बनाम मंगल पांडेय: BJP में भी रेस शुरू?
BJP भले ही सम्राट चौधरी जैसे अतिपिछड़े नेता को आगे करने की कोशिश कर रही हो, लेकिन तेजस्वी ने ब्राह्मण कार्ड उछाल कर जातिगत समीकरणों को हाई वोल्टेज पर ला दिया है।
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मंगल पांडेय का सदन में चुप रहना अब उनके खिलाफ हथियार बन गया है।

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सुशील मोदी के शागिर्द और पुराने संगठन आदमी होने के बावजूद, वह अब खुद को सीएम रेस में घिरा पा रहे हैं — वो भी विरोधी के बयान के चलते!
क्या ब्राह्मण चेहरा NDA की हार का कारण बनेगा?
राजनीति में कहा जाता है कि “दांव वही सफल, जो वक्त से पहले चले” — तेजस्वी का मंगल पांडेय को लेकर बयान इसी नीति का हिस्सा लगता है।
अगर यह बात फैली कि बीजेपी ब्राह्मण को सीएम बनाएगी, तो पिछड़ा-अतिपिछड़ा वोट इमोशनल होगा दलित समाज में भी असुरक्षा का भाव आएगा, महागठबंधन के लिए जमीन तैयार हो जाएगी।
मंगल पांडेय नाम नहीं, सियासी हथियार हैं!
तेजस्वी यादव को पता है कि बिहार में चुनाव सिर्फ मुद्दों पर नहीं, मैसेज और माइंडगेम्स पर लड़े जाते हैं।
मंगल पांडेय का नाम इस वक्त उछाल कर उन्होंने
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BJP में कन्फ्यूजन बढ़ाया
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जातिगत समीकरण को अपने पक्ष में मोड़ा
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और खुद को एक बार फिर मुख्य चुनौती के रूप में पेश कर दिया।
सियासत में बयान बम की तरह होते हैं, तेजस्वी ने अपना बम फेंक दिया है — अब धमाके का इंतज़ार कीजिए!
