तेज प्रताप यादव का नया झंडा, नई राहें और पुरानी मुस्कान!

आलोक सिंह
आलोक सिंह

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से तेज हवा चलने लगी है। तेज प्रताप यादव, जो कभी कृष्ण का रूप धरकर राजनीतिक ‘लीला’ करते दिखे थे, अब ‘टीम तेज प्रताप यादव’ का झंडा लहराते नजर आए। तो क्या अब वे अपनी राजनीतिक पार्टी की नई पटकथा लिखने वाले हैं?

जब झंडा बदला, तो इरादा क्यों ना बदले?

विधानसभा पहुंचे तेज प्रताप से जब पूछा गया कि अगली सरकार किसकी बनेगी? उन्होंने वो जवाब दिया, जिसे IAS वाले नोट्स में “डिप्लोमैटिक रिप्लाई” कहते हैं“अब देखिए, सरकार किसकी बनती है।”

मुस्कुराहट ऐसी थी कि विपक्ष भी असमंजस में पड़ जाए और सत्ताधारी सरकार भी गूगल पर “political body language decode” सर्च करने लगे।

राबड़ी देवी की सलाह और युवराज का इशारा

राबड़ी देवी ने कह डाला — “अब नीतीश कुमार की जगह किसी युवा को मौका मिलना चाहिए।”
तेज प्रताप ने भी तुरंत हां में हां मिलाई — “माताजी कुछ सोच-समझ कर ही कहती हैं, हम तो पहले से यही कह रहे हैं।”

लेकिन सवाल ये है कि युवा कौन? तेजस्वी यादव या खुद तेज प्रताप?

चुनाव कहां से लड़ेंगे? महुआ से मोह भंग या मोहब्बत कायम?

तेज प्रताप का जवाब:
“अभी तय नहीं, चर्चा बहुत जगह की हो रही है। फर्क नहीं पड़ता।”
Translation in political terms:
“मैं कहीं से भी चौंका सकता हूं, तैयार रहिए!”

बिहार में अपराध और तेज प्रताप का तीखा प्रहार

जब उनसे पूछा गया कि बिहार में अपराध बढ़ रहा है, तो उन्होंने NDA सरकार पर सीधा हमला बोला — “अपराध चरम पर है, सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।”
लगता है तेज प्रताप अब केवल ‘कृष्ण वेश’ नहीं, बल्कि ‘क्रांतिकारी वेश’ में भी आ चुके हैं।

तेजस्वी से दूरी या रणनीतिक चाल?

कभी तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने वाले तेज प्रताप अब अगली सरकार के सवाल पर ‘डिप्लोमेसी’ खेल रहे हैं। तो क्या RJD में अंदरूनी खिचड़ी पक रही है? या फिर ‘टीम तेज प्रताप’ सिर्फ शो पीस नहीं, पूरी नई दुकान है?

चुनावी राजनीति या पारिवारिक पटकथा: कौन किसके साथ?

बिहार की राजनीति में पार्टी बदलना फैशन, रिश्ते बदलना ट्रेंड, और मुस्कुराकर जवाब देना अब तेज स्टाइल बन गया है।

अब देखना ये है कि तेज प्रताप यादव का अगला स्टेप क्या होगा – नई पार्टी, नया गठबंधन या पुराने रिश्तों का नया अध्याय?

बिहार की राजनीति में हर चुनाव एक नवसृजन होता है – जिसमें एक तरफ अपराध के आंकड़े होते हैं और दूसरी तरफ नेताओं की smile-powered ambiguity। तेज प्रताप यादव इस कला में निपुण हो चुके हैं।

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