प्रकाश सिंह
बेरोजगारी के बीच नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे युवाओं को जब सरकारी स्कूल में नौकरी का मौका मिला, तो उन्होंने बिना देर किए अपनी ज़िंदगी की जमा पूंजी लुटा दी। लेकिन हकीकत कुछ और थी — फर्जी जॉइनिंग लेटर और लाखों की ठगी।
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शिक्षा विभाग के नाम पर सपना, लेकिन निकला धोखा
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के नाम पर युवाओं को शिक्षक पद पर नियुक्ति का झांसा दिया गया। गिरोह ने फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार करवाकर बेरोजगार अभ्यर्थियों से ₹5,50,000 तक की ठगी की।
शिकायतकर्ता अमित प्रताप सिंह ने जब नियुक्ति पत्र लेकर इंटर कॉलेज पहुंचे तो स्कूल प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि यह फर्जी है।
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और फोन रिकॉर्डिंग ने खोला राज
आरोपी प्रकाश शर्मा और उसके साथियों ने मोबाइल कॉल्स, फर्जी सरकारी पहचान और WhatsApp चैट्स के ज़रिए विश्वास दिलाया कि वे बोर्ड से जुड़े अधिकारी हैं। अमित सिंह के पास कॉल रिकॉर्डिंग और ट्रांजैक्शन डिटेल मौजूद हैं, जिससे पूरे गैंग की योजना की पुष्टि होती है।
पुलिस जांच में जुटी, संगठित गिरोह की आशंका
थाना करनैलगंज और थाना परसपुर में आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 420, 467, 468, 471 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस को संदेह है कि यह कोई छोटा-मोटा ठग नहीं, बल्कि एक बड़ा संगठित नेटवर्क है, जो लंबे समय से युवाओं को ठगता चला आ रहा है।
जांच के दायरे में चयन बोर्ड की साख
इस प्रकरण से माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की साख भी सवालों के घेरे में आ गई है। फर्जीवाड़े के मामलों में लगातार वृद्धि के बीच अब शासन स्तर पर सख्त निगरानी और पारदर्शिता की मांग की जा रही है।
क्या कहती है पुलिस?
सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने कुछ संदिग्धों से पूछताछ शुरू कर दी है और डिजिटल ट्रांजैक्शन, कॉल रिकॉर्ड्स और दस्तावेज़ों की फॉरेंसिक जांच जारी है। जल्दी ही पूरे रैकेट का खुलासा किया जा सकता है।
युवाओं को जागरूक रहना होगा
इस तरह के घोटाले युवाओं की आशाओं से नहीं, उनकी असहायता और भरोसे से खेलते हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि कोई भी नौकरी संबंधी लेन-देन पूरी जांच-पड़ताल और आधिकारिक पुष्टि के बाद ही की जाए।
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