बीजेपी को चुनौती देंगे स्टालिन, बोले- मेरे रहते नहीं लहराएगा भगवा

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन इन दिनों चुनावी मोड में हैं—और उनका टारगेट साफ है: बीजेपी और उसका बढ़ता वोट शेयर।
24 जुलाई को हुई एक मीटिंग में उन्होंने सीधा एलान किया:

“मेरे रहते तमिलनाडु में भगवा झंडा नहीं लहराएगा।”

यानि साफ है, अब चुनाव नहीं, रंगों की लड़ाई है।

बीजेपी का ग्राफ ऊपर, लेकिन सीटें अभी भी 0

हालांकि बीजेपी को 2024 में एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन उसका वोट शेयर 3.66% से बढ़कर 11.5% पहुंच गया। और अगर गठबंधन की बात करें तो AIADMK के साथ मिलकर 18.5% वोट बटोरे। यानी अब स्थिति ये है कि बीजेपी “0 सीट में भी उम्मीद की सीट” ढूंढ रही है।

AIADMK: गठबंधन या “राजनीतिक PG”?

उदयनिधि ने AIADMK को बीजेपी का दरवाज़ा बताया। बोले:

“AIADMK बीजेपी के लिए तमिलनाडु में ज़मीन खरीद रही है।”
मतलब अब AIADMK के साथ गठबंधन करना ऐसा है जैसे “किरायेदार के लिए घर सजाना और फिर खुद बेदखल हो जाना।”

“हिंदी थोपने” का मुद्दा फिर गरमाया

बीजेपी पर लंबे समय से हिंदी थोपने का आरोप लगता रहा है।
द्रविड़ पार्टियां इस मुद्दे को चुनावी ईंधन बनाकर “हम तमिल हैं, और सिर्फ तमिल बोलेंगे!” के नारे से मतदाताओं को जोड़ती हैं।

स्टालिन ने दो टूक कहा:

“ये चुनाव तमिल अस्मिता, मातृभाषा और ज़मीन की रक्षा का होगा, न कि राष्ट्रभाषा राग का।”

अमित शाह बोले- 2026 में सत्ता BJP-AIADMK की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दावा किया था कि 2026 में बीजेपी और AIADMK मिलकर सरकार बनाएंगे।
इस बयान से DMK खेमें में “डर नहीं, पर टेंशन ज़रूर” फैल गई है।

अब स्टालिन के बयान को उसी “काउंटर पंच” के तौर पर देखा जा रहा है— “डरे हुए हैं तो बोल दो, ऐसे जमीन-गौरव की रक्षा कौन रोज याद करता है?”

तमिल पहचान बनाम भगवा एजेंडा

तमिलनाडु की राजनीति हमेशा से द्रविड़ बनाम उत्तर भारतीय राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द घूमती रही है। बीजेपी की रणनीति अब जातिगत समीकरणों, जैसे EPS (गाउंडर समुदाय) को आगे करके “स्थानीय चेहरा, राष्ट्रीय सोच” की ओर बढ़ रही है।

लेकिन स्टालिन और DMK कह रहे हैं:

“तुम चेहरा बदल लो, पर भाषा, विचारधारा और एजेंडा वही रहेगा। और हम वही रोकेंगे।”

रंग, भाषा और गठबंधन की सियासत में घुलता तमिल सस्पेंस

तमिलनाडु में राजनीति अब अल्फाबेट्स नहीं, कलर कोड्स में हो रही है। DMK कह रही है “Black and Red”, बीजेपी कह रही है “Saffron Surge”। एक तरफ मातृभाषा की रक्षा का दावा, दूसरी ओर विकास के वादे। 2026 का चुनाव क्या सिर्फ सत्ता का नहीं, संविधान बनाम संस्कृति का युद्ध होगा?

या फिर… सब वोट के नाम पर रील है, असल कहानी तो चुनाव बाद चलेगी।

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