संगम रेट्रो रिव्यू: जब प्यार, दोस्ती और विदेश यात्रा तीन घंटे में फिट हो गए

राज कपूर की ‘संगम’ (1964) एक ऐसी फिल्म है जिसमें दोस्ती इतनी पवित्र थी कि अगर WhatsApp होता, तो शायद रणवीर (राज कपूर) का “Seen” भी एक इमोशनल सीन बन जाता।फिल्म में ट्रायंगल लव स्टोरी है, लेकिन प्लॉट इतना फैला हुआ कि आपको लगता है – “ये फिल्म नहीं, इमोशंस की रेलवे लाइन है, जिसमें हर स्टेशन पर आंसू हैं।” IND vs ENG : केएल राहुल के आउट होते ही लड़खड़ाया इंडिया लव लेटर, जो आज भी इंटरनेट स्पीड से तेज़ पहुंचता है! राजेंद्र कुमार का किरदार जब प्यार छुपाता…

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रेट्रो रिव्यू: नदिया के पार – प्रेम, परंपरा और पंखे की पुरानी हवा

1982 में आई फ़िल्म “नदिया के पार” किसी फिल्म से कम और गांव के चबूतरे पर बैठी दादी की कहानी से ज्यादा लगती है।ये फ़िल्म थी उस दौर की जब प्यार आंखों से होता था, मैसेज से नहीं। और शादी तय होती थी तुलसी के पौधे के पास, Tinder पर नहीं। जलेबी, वड़ा पाव और समोसे पर चेतावनी! अगला क्या? चाय पर हेल्थ टैक्स? हीरो: सीधे खेत से निकला देसी क्रश सचिन (चंदन) का किरदार ऐसा जैसे खेत में पैदा हुआ, कसम से ‘ग्लिसरीन’ के बिना भी आंखें नम कर…

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