भगवान शिव ने संसार को बचाने के लिए हलाहल पिया। मतलब साफ है – खुद को दुख दो ताकि दूसरों को सुख मिले।अब भक्तगण सोचते हैं – “वाह! भोले बाबा ने ज़हर पिया, हम भी पी लेते हैं… लेकिन अपना वाला!”भाई, ये कौन-सी श्रद्धा है जिसमें गांजा-सुलफा-भांग के बिना भक्ति नहीं होती? बिहार चुनाव: “40 सीट पर लटकल सरकार, नेता घुसल गली-गली कार!” भक्ति के नाम पर ‘भांग’ का ब्रांड प्रमोशन सावन का महीना आते ही कुछ लोग मंदिर नहीं, “नशा केंद्र” जैसे माहौल बनवा देते हैं। कहीं डमरू के…
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