भारत की धरती पर अगर किसी संस्था ने धार्मिकता, शिक्षा और संस्कृति को एक साथ पिरोने का काम किया है, तो वह है गीता प्रेस गोरखपुर। वर्ष 1923 में सेठ जयदयाल गोयनका द्वारा स्थापित यह संस्था आज केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में हिंदू धर्मग्रंथों और बच्चों के साहित्य के लिए प्रसिद्ध है। गीता प्रेस की नींव: एक कमरे से शुरू होकर दो लाख वर्ग मीटर तक का सफर 1923 में गोरखपुर के उर्दू बाजार स्थित एक किराए के कमरे से शुरू हुई यह यात्रा आज 2 लाख…
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