उत्तराखंड की शांत वादियों में तीन साल पहले जो चीख गूंजी थी, वह आज भी हवा में तैर रही है। 19 साल की अंकिता भंडारी — एक आम लड़की, बड़े सपने नहीं, बस परिवार का सहारा बनने की चाह। नौकरी मिली ऋषिकेश के एक रिजॉर्ट में, लेकिन वहां उसे मिला वो सिस्टम, जहां “ना” कहना सबसे बड़ा गुनाह बन गया। सवाल आज भी वही है — क्या यह सिर्फ एक मर्डर था? या फिर सत्ता के साये में दबा दिया गया एक सच? Christmas, Videos और फिर से खुलते ज़ख्म…
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