“सरकारी तिजोरी में आपकी दौलत रखी है, बस ‘कागज़’ लाओ और ले जाओ!”

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गांधीनगर में एक ऐसा आंकड़ा पेश कर दिया जिससे पूरा देश बोल पड़ा – “क्या? मेरा भी कुछ हिस्सा है क्या इसमें?” दरअसल, 1.84 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय संपत्तियां – जिनमें बैंक जमा, बीमा पॉलिसी, भविष्य निधि और शेयर – बिना दावे के बैंकों और नियामकों के पास आराम कर रही हैं, जबकि असली मालिक अब भी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर “सरकार पैसा छीन रही है” वाले मैसेज फॉरवर्ड कर रहे हैं। “आपकी पूंजी, आपका अधिकार” – अब दरवाज़ा खटखटाइए, खजाना आपका है! सीतारमण…

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“पैसा ऊपर, कर्ज नीचे! वेदांता बना फाइनेंस का ‘Walking Dead'”

पहले अडानी, अब अनिल अग्रवाल! वाइसरॉय रिसर्च ने जो बम फोड़ा है, उसने वेदांता के शेयर बाजार में हड़कंप मचा दिया है। इस रिपोर्ट ने वेदांता रिसोर्सेज को बताया एक “पॉन्जी स्कीम”, और सीधे कह दिया – “ये कंपनी खुद बिज़नेस नहीं करती, बस दूसरों की कमाई चूसती है!” कह सकते हैं – अगर अडानी की रिपोर्ट शेयर बाज़ार की बर्फ थी, तो वेदांता की रिपोर्ट जलते तेल में पानी! डायमंड चाहिए था… नाली मिल गई- कंगना को नहीं भा रही सांसदगिरी! परजीवी कंपनी या बिज़नेस का ‘ब्लैक होल’? रिपोर्ट…

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