1951 में जब राज कपूर ने “आवारा” बनाई, तो शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि ये फिल्म एक इंटरनेशनल लव अफेयर में बदल जाएगी। फिल्म में एक गरीब चोर, एक हाई-सोसाइटी लॉ स्टूडेंट, और एक कट्टरपंथी जज की तिकड़ी ने जो सोशल ड्रामा रचा, वो आज भी यादगार है। जज साहब बोले: “अपराधी का बेटा अपराधी!” कहानी शुरू होती है एक ज़िला न्यायाधीश रघुनाथ से, जिनकी थ्योरी है – DNA ही destiny है! लेकिन जब उनके अपने बेटे ने चोर बनकर उनके सिद्धांत की वाट लगा दी, तो मजनू…
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