आज कार्तिक मास की पूर्णिमा की पावन संध्या पर भगवान शिव की नगरी काशी सचमुच देवों की नगरी बन गई।गंगा किनारे 20 लाख से अधिक दीयों की स्वर्णिम आभा ने ऐसा दृश्य रचा, मानो खुद देवता भी बालकनी से झाँक रहे हों! शाम 5:30 बजे से दीयों का समंदर उमड़ा — 88 घाट, 96 कुंड और 50,000 तालाबों पर फैली रोशनी ने वाराणसी को एक जीवित स्वर्ग बना दिया।गंगा पार रेती पर तीन लाख दीयों की कतारें देखकर लगा, धरती ने तारों को नीचे बुला लिया हो। नमो से अस्सी…
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