भारत में शिक्षा प्रणाली तेजी से एक ‘सर्विस इंडस्ट्री’ में बदलती जा रही है। आज अधिकतर निजी स्कूल शिक्षा कम और दिखावा अधिक बेच रहे हैं। अभिभावकों के लिए सवाल यह नहीं कि स्कूल कितना अच्छा है, बल्कि यह कि “हम इस साल कितनी जेब ढीली करने वाले हैं?” मितरों जब औलाद निकले नालायक, ममता को किनारे रख करो कानूनी इलाज हर साल बढ़ती फीस – किसके लिए और क्यों? पिछले 5 वर्षों में देश के शहरी निजी स्कूलों में फीस में औसतन 18-25% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई…
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