जब भी भारत में चुनाव आते हैं, एक शब्द गूंजता है — “राष्ट्रवाद”। और इस शब्द के साथ जुड़ा होता है एक नाम: BJP (भारतीय जनता पार्टी)। चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक हो, CAA-NRC की बहस, या राम मंदिर निर्माण — बीजेपी ने राष्ट्रवाद को न सिर्फ राजनीतिक एजेंडा, बल्कि भावनात्मक कनेक्शन बना दिया है। यही कारण है कि राष्ट्रवाद के नाम पर जनता बार-बार बीजेपी को समर्थन देती है? जनता का झुकाव: राष्ट्रवाद को माने ‘India First’ एजेंडा आम मतदाता को जब लगता है कि देश को सुरक्षा, सम्मान और…
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देशभक्ति बोले तो ‘गुनाह’? कब से राष्ट्रवाद हो गया कंट्रोवर्सी!
“भारत माता की जय” बोलना, तिरंगा लहराना या सेना की तारीफ करना—कभी ये बातें देशभक्ति की पहचान मानी जाती थीं। लेकिन आज, अगर कोई खुलकर राष्ट्रवाद की बात करता है तो उसे अक्सर “जाहिर एजेंडा”, “प्रोपेगेंडा” या “ध्रुवीकरण” के आरोपों से घेर लिया जाता है। तो सवाल ये है: क्या भारत में राष्ट्रवाद की बात करना अब गुनाह बन गया है? राष्ट्रवाद बनाम अंधराष्ट्रवाद: फर्क समझना ज़रूरी है राष्ट्रवाद यानी अपनी मातृभूमि से प्रेम, उसका सम्मान और समृद्धि के लिए काम करना। अंधराष्ट्रवाद में तर्क, आलोचना और बहस के लिए…
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