1975 में जब देवताओं ने स्क्रिप्ट लिखी, डायरेक्टर विजय शर्मा ने कैमरा सेट किया — और इस तरह शुरू हुई देव लोक की कहानी। जी हाँ, वहीं देव लोक, जहाँ गणेश जी सपरिवार बैठे थे और अचानक उन्हें याद आया कि चलो एक बेटी भी जोड़ लेते हैं — और संतोषी माँ का “फिल्मी जन्म” हुआ। बजट कम, श्रद्धा ज़्यादा: मंदिर में नहीं, थियेटर में पूजा! 10 लाख के बजट वाली इस फिल्म ने सिनेमाघरों को अस्थायी मंदिर में बदल दिया। लोग चप्पलें बाहर उतार कर अंदर जाते, फूल और…
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