ढाका की मस्जिदों में ‘जिहाद चाहिए’ के नारे, आतंकियों की जमानत पर रिहाई और खुलेआम रैलियों का आयोजन अब ये जताता है कि हिज्ब उत-तहरीर, अंसार अल-इस्लाम, और जमात-ए-इस्लामी जैसे ब्रांड अब फिर से “मार्केट में एक्टिव” हो चुके हैं। सॉरी इन्स्टा, अब बांग्लादेश की सड़कों पर चल रही है असली “जिहादी रील लाइफ”! भारत के लिए नया Security Season? पाकिस्तान की फिक्स्ड डोज़ मिल रही थी, अब बांग्लादेश ने भी “Bonus Attack Package” भेजने की तैयारी कर ली है। भारत की सीमाएं अब सिर्फ भौगोलिक नहीं, विचारधारात्मक भी असुरक्षित…
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सत्ता बदली, बम फूटे! बांग्लादेश में फिर गूंजे ‘जिहाद चाहिए’ के नारे
आवामी लीग सरकार के जाते ही ऐसा लगता है जैसे बांग्लादेश के कुछ ‘पुराने दोस्त’ वापस छुट्टियों से लौट आए हैं — लेकिन इस बार नारे और पोस्टर के साथ! ढाका की बैतुल मुकर्रम मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के बाद का नज़ारा देखकर किसी को भी लगेगा कि जिहाद अब सार्वजनिक सभा का नया फैशन हो गया है। नारेबाज़ी: “कौन हैं हम? मिलिटेंट, मिलिटेंट!” हिज्ब उत-तहरीर, विलायाह बांग्लादेश, अंसार अल-इस्लाम, और जमात-ए-इस्लामी जैसे आतंकी संगठन अब “अंडरग्राउंड” नहीं रहे। नहीं, ये लोग किसी गुफा से नहीं बल्कि मस्जिद के…
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