सावन का महीना शुरू होते ही जहां शिवभक्त ‘बोल बम’ की गूंज में डूब जाते हैं, वहीं कुछ ‘टेंडरबाज’ भी हर साल ‘बोल धन’ की तैयारी करने लगते थे। दिल्ली में कांवड़ यात्रा सिर्फ श्रद्धा का नहीं, बल्कि वर्षों से सेटिंग-बैठक और टेंडर-तिजोरी का खेल बन चुकी थी। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ कह दिया — “भक्ति के रास्ते में अब भ्रष्टाचार की चप्पलें नहीं चलेंगी।” क्या ‘कथा’ भी अब जाति देखकर सुनाई जाएगी? टेंट आधे, बिल पूरे — अब नहीं चलेगा! हर साल कांवड़ शिविरों के…
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