शिव सबके! न धर्म, न जात — बस भक्ति का रास्ता

भगवान शिव केवल सनातन धर्म के नहीं, बल्कि समस्त मानवता के आराध्य हैं। वे “अज्ञेय” हैं — जिनका कोई एक रूप नहीं, कोई एक मत नहीं। उनका स्वरूप समावेशी है। डमरू बजाते, जटाजूटधारी, तांडव करते शिव — वे किसी विशेष संप्रदाय के प्रतीक नहीं बल्कि ब्रह्मांडीय चेतना के आधार हैं। शिव सबके क्यों हैं? शिव को कोई भी जात-पात पूछे बिना पूज सकता है। वो श्मशान में भी मिलते हैं और मंदिरों में भी। भांग चढ़ाते नागा भी उनके भक्त हैं और दीप जलाती गृहिणी भी। वो अघोरी के गुरु…

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13 जनवरी, पौष पूर्णिमा से 12 फरवरी, माघी पूर्णिमा तक होगा कल्पवास

महाकुम्भनगर। तीर्थराज प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर सनातना आस्था के महापर्व, महाकुम्भ 2025 की शुरूआत होने जा रही है। महाकुम्भ में 40 से 45 करोंड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज में आने का अनुमान है। जो गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में अमृत स्नान करेंगे। इसके साथ ही लाखों की संख्यां में श्रद्धालु संगम तट पर महाकुम्भ की प्राचीन परंपरा कल्पवास निर्वहन करेंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रद्धालु एक माह तक नियमपूर्वक संगम तट पर कल्पवास करेंगे। जिसके लिए सीएम योगी के मार्गदर्शन में प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने…

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